झारखंड बंटवारे के बाद मुजफ्फरपुर शहर में स्थित ‘बाबा गरीबनथ धाम’ को बिहार का ‘देवघर’ कहा जाता है। मुजफ्फरपुर शहर के पुरानी बाजार इलाके में स्थित बाबा गरीबनाथ का मंदिर आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। मान्यता है कि इस मंदिर में भक्ति-भाव से मांगी गई भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी मुरादें लेकर जाते हैं। बाबा अपने दरबार में आने वाली सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसलिए बाबा गरीबनाथ मंदिर ‘मनोकामनालिंग’ के नाम से भी मशहूर हैं।
ऐसे तो यहां पूरे साल भर शिवभक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन, सावन के महीने में इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है। जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल होते हैं। यहां राजकीय श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता है। देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी हाजीपुर के पहलेजा से डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करती है। यह परंपरा सैंकड़ों वर्षों से कायम है। साल-दर-साल कांवड़ियों की संख्या में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है।
ऐसी है ऐतिहासिक मान्यता
इस मंदिर का इतिहास 300 साल से अधिक पुराना है। मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक बताते हैं कि मुजफ्फरपुर के इस इलाके में पर पहले घना जंगल हुआ करता था। इस जंगल के बीच सात पीपल के पेड़ थे। शहर इसी इलाके से शुरू हुआ जिसे आज पुरानी बाजार के नाम से जाना जाता है। क्रमशः विकास के क्रम में पेड़ की कटाई शुरू हुई। उसी धरती से समय अचनाक खून जैसा लाल पदार्थ निकलने लगा। लोग घबरा गए। बाद में सामूहिक निर्णय से जब इस जगह की खुदाई की गई तो यहां से एक विशालकाय शिवलिंग मिला।
लोग बताते हैं कि इसके बाद जमीन मालिक को सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिया और वहीं शिवलिंग को स्थापित कर पूजा का आदेश दिया। तब से ही यहां पर बाबा भोलेनाथ की पूजा की जाने लगी। पेड़ की कटाई में जमीन खोदते वक्त शिवलिंग में कुदाल से कटने का दाग आज भी मौजूद है।
जानें कैसे बाबा का नाम पड़ा ‘गरीबनाथ’
बताया जाता है कि शिवलिंग मिलने के बाद एक स्थानीय मजदूर उनकी पूजा करने लगा। वह काफी गरीब था और उसका नाम भी गरीब दास था। मान्यता है कि उसकी एक बेटी थी जिसकी शादी के लिए घर में कुछ भी नहीं था। उसने बाबा से गुहार लगाई। बाबा की कृपा से उसकी बेटी की शादी जनसहयोग से हो गई। बेटी की शादी के बाद उसकी आस्था बाबा के प्रति और बढ़ गई। एक दिन व्यक्ति को सपने में बाबा ने दर्शन दिए और बाबा गरीबनाथ के नाम से उनकी पूजा करने का आदेश दिया। तभी से इस धाम का नाम ‘बाबा गरीबनाथ धाम’ पड़ गया।
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