करीब एक दशक तक पीएम नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, कैप्टन अमरिंदर सिंह, केसीआर और ममता बनर्जी जैसे नेताओं के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर अब खुद यात्रा पर निकले हैं। गांधी जयंती के बाद से ही वह बिहार में जन सुराज यात्रा निकाल रहे हैं। इसके तहत वह 3,000 किलोमीटर की पद यात्रा पर हैं।
इस दौरान वह लोगों से सीधा संवाद कर रहे हैं, उनके मुद्दों को जान रहे हैं और जनसरोकार की बात कर रहे हैं। एक तरफ वह जनता को जागरूक करते दिखते हैं तो वहीं परिवारवाद, भ्र’ष्टाचार जैसे मुद्दों पर तीखे हमले भी कर रहे हैं। ऐसे में हर किसी की नजर है कि आखिर सबके लिए रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर खुद किस रणनीति पर काम कर रहे हैं।
नीतीश को भी नहीं छोड़ रहे पीके, जमीन टटोलने में जुटे
प्रशांत किशोर ने अब तक खुलकर ऐलान नहीं किया है कि वह चुनावी राजनीति में उतरेंगे या नहीं, लेकिन इसके संकेत जरूर दे रहे हैं। उन्होंने जिस तरह से तेजस्वी यादव की पढ़ाई से लेकर नीतीश कुमार सुशासन तक के दावों पर अटैक किया है, उससे यही संकेत मिलता है। वह जेडीयू, आरजेडी और भाजपा तीनों पर ही अटैक कर रहे हैं। बेरोजगारी, विकास और भ्र’ष्टाचार के मुद्दों पर ही वह बात कर रहे हैं। धर्म, जाति के समीकरणों से परे बिहार, बिहारी और उसके विकास की बात ही वह कर रहे हैं। साफ है कि प्रशांत किशोर नए नैरेटिव के साथ आना चाहते हैं और उससे पहले जमीन टटोल रहे हैं।
सुपर-30 मूवी का दोहरा रहे डायलॉग, तेजस्वी पर सीधा वार
चुनावी रणनीति बनाते हुए भी प्रशांत किशोर का अलग ही अंदाज रहा है। वह अकसर विवादों से परे ऐसे मुद्दों पर फोकस करते रहे हैं, जो जनता से जुड़े हों। ऐसे में वह खुद अपने लिए भी इसी रणनीति का इस्तेमाल करते दिखते हैं। वहीं बीच-बीच में परिवारवाद, भ्र’ष्टाचार और पिछड़ेपन के मुद्दों की डोज भी दे रहे हैं। सुपर-30 मूवी का डायलॉग दोहराते वह अकसर कहते हैं, अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा। इसका साफ संकेत आरजेडी पर ही रहता है। पिछले दिनों उन्होंने यहां तक कहा कि यदि लालू के बेटे न होते तो क्या 9वीं पास तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम होते। इतनी पढ़ाई में इंसान चपरासी नहीं बन पाता।
11 दिनों में पीके की यात्रा का मिलने लगी चर्चा
पीके की जन सुराज यात्रा की शुरुआत हुए 11 दिन ही बीते हैं, लेकिन वह चर्चा का केंद्र बनने में जरूर सफल रहे हैं। एक तरफ मीडिया की सुर्खियों में हैं तो वहीं सीएम नीतीश कुमार से लेकर अन्य सभी दल रिएक्ट भी कर रहे हैं। दार्शनिक प्लेटो का जिक्र करते हुए वह कहते हैं, ‘यदि आप सरकार के कामकाज में दिलचस्पी नहीं लेते हैं तो फिर आप मूर्खों द्वारा शासित होने को तैयार रहें।’ वह वोटरों से अपील करते हैं कि आप मोदी, लालू और नीतीश के नाम पर वोट न करें बल्कि मुद्दों और उम्मीदवार को देखकर ही मतदान करें।
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