बिहार सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के बावजूद भी गंगा नदी में मूर्ति विसर्जन करने का काम किया जा रहा है. नदी में मूर्ति विसर्जन कर रहे लोगों को ना तो प्रशासन का डर है और ना ही प्रशासन के नियमों का डर है. बता दें कि 1 या दो नहीं बल्कि दर्जनों मूर्तियां गंगा नदी में विसर्जित करके गंगा नदी को प्रदूषित किया जा रहा है.
प्रशासन की रोक के बावजूद प्रदूषित हो रही नदी
बिहार सरकार ने दिशा निर्देश देते हुए यह कहा था कि गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए किसी भी प्रकार का मूर्ति विसर्जन गंगा नदी में नहीं किया जाएगा. इसके लिए वैकल्पिक तालाब की व्यवस्था की जाएगी, लेकिन बाढ़ में इस तरह का कोई व्यवस्था नहीं किया गया. जिसके चलते देर रात से लेकर अब तक सैकड़ों मूर्तियां गंगा नदी में प्रवाहित की गई।
बाढ़ ही नहीं नालंदा जिला शेखपुरा जिला समेत कई जिला की मूर्तियां यहां विसर्जन को आती है और बड़े ही धूमधाम के साथ उमानाथ गंगा घाट पर गंगा नदी में विसर्जन की जाती है. इस दौरान न तो कोई प्रशासन की व्यवस्था होती है और ना ही इसे कोई रोकने वाला है.
लोगों का आरो’प प्रशासन ने नहीं की वैकल्पिक व्यवस्था
लोगों का आ’रोप है कि प्रशासन ने मूर्ति विसर्जन के लिए कोई प्रशासनिक व्यवस्था नहीं की है. उनका कहना है कि लोग मूर्ति विसर्जित कहां करें. वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के चलते मजबूरी में लोगों को गंगा नदी में मूर्ति विसर्जित करनी पड़ती है. इसका खामियाजा गंगा प्रदूषण के रूप में इंसान को झेलना पड़ रहा है.
बाढ़ में भी इस तरह का नजारा गंगा नदी के सेहत को खतरे में डालने जैसा है. प्रशासन इसके प्रति संवेदनशील नजर नहीं आ रही है केवल सरकार के दिशा निर्देश का हवाला देकर मौखिक रूप से मना करने का काम करते हैं, लेकिन जब मूर्ति विसर्जन की बारी आती है तो प्रशासन नजर नहीं आते हैं जिसके चलते गंगा नदी लगातार प्रदूषित हो रही है.
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