गया जिले की एक 27 वर्षीय महिला को सात साल बाद अपने बेटे के साथ फिर से मिलने की उम्मीद है, क्योंकि उसके ससुराल वालों ने अफवाह फैला दी थी कि उसके बेटे की मृ’त्यु हो गई है। उसके ससुराल वालों ने बच्ची का मृ’त्यु प्रमाण पत्र भी दिखाया था। मगध मेडिकल थाना क्षेत्र के कठौतिया-घुटिया टोला की मुन्नी देवी 2015 में अपने बेटे से अलग हो गई थी, जब वह केवल पांच महीने का था।
पति की ह’त्या में कथित संलिप्तता के आरो’प में 24 मई 2015 को उन्हें गि’रफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। हालांकि, नौ महीने बाद उन्हें पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई। लेकिन महिला को कुछ ग्रामीणों से सूचना मिली कि उसका बेटा जीवित है और अपने दादा-दादी के साथ रह रहा है। इसके बाद, उसने गया जिला अदालत में एक शिकायत दायर कर अपने बेटे को कब्जे में लेने की मांग की।
म’रा हुआ बेटा निकला जिंदा
बाद में, उसने अपने बेटे की कस्टडी की मांग करते हुए पटना उच्च न्यायालय का रुख किया। उसने अदालत के सामने अपने बच्चे की वर्तमान तस्वीरें पेश कीं ताकि यह साबित हो सके कि वह जीवित था। न्यायमूर्ति और न्यायमूर्ति की खंडपीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 11 अक्टूबर तय की है।
मुन्नी ने कहा, ‘मेरे ससुर किशोरी यादव ने मेरे और मेरे परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी क्योंकि मेरे पति का शव कठौतिया-घुटिया टोला इलाके में सड़क किनारे बरामद किया गया था। मेरे परिवार के सभी सदस्यों को 24 मई 2015 को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, मुझे नौ महीने बाद जमानत मिल गई।’
गया पुलिस ने किया एसआईटी का गठन
गया एसएसपी हरप्रीत कौर ने कहा कि ‘मैंने सिटी एसपी की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया है और इसमें अतिरिक्त एसपी शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों ने उसके ससुर और देवर से पूछताछ की तो उन्होंने स्वीकार किया कि बच्चा जिन्दा था।
पटना नगर निगम (पीएमसी) से मृ’त्यु प्रमाण पत्र के सत्यापन में यह फर्जी पाया गया। पता चला कि पीएमसी ने सर्टिफिकेट जारी नहीं किया था। पुलिस के मुताबिक ‘बच्चे का जाली मृ’त्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल बच्चे का चाचा फरार है। पुलिस ने कोर्ट में उसकी संपत्ति कुर्क करने की गुहार लगाई है। कोर्ट के आदेश के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट के आदेश के बाद बच्चे को गया स्थित बाल कल्याण गृह में रखा गया है।’
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