चिंतन, दर्शन, जीवन, सर्जन, रूह, नजर पर छाई अम्मा, सारे घर का शोर-शराबा, सूनापन, तन्हाई अम्मा/ सारे रिश्ते- जेठ-दुपहरी, गर्म-हवा, आतिश, अंगारे, झरना, दरिया, झील, समंदर, भीनी-सी पुरवाई अम्मा/ बाबूजी गुजरे, आपस में सब चीजें तक्सीम हुईं तब, मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा….इन पंक्तियों को जैसे ही गजलकार आलोक श्रीवास्तव ने पढ़ा, पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा।
मौका था एडवांटेज सपोर्ट की तरफ से आयोजित पटना लिटरेरी फेस्टिवल का। बुधवार को हिंदी दिवस पर भारतीय नृत्य कला मंदिर में रूबरू 3 कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन में देश के प्रख्यात गीतकार, पत्रकार और गजलकार आलोक श्रीवास्तव से कवयित्री प्रेरणा प्रताप ने बातचीत की।
उन्होंने एक से बढ़कर एक नज्म, शायरी और गजल से पटना के लोगों का दिल जीत लिया। एंकर प्रेरणा प्रताप ने उनसे यह सवाल किया कि आज के वक्त में बतौर लेखक वह हिन्दी को कहां पाते हैं? आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि आप 30 सेंकेंड बिना उर्दू के शब्द बोले हिन्दी नहीं बोल सकते। वहीं बिना हिन्दी के शब्द बोले उर्दू नहीं बोल सकते। इस ऑडिटोरियम में हिंदी के तलबगार डॉक्टर एए हई और खुर्शीद अहमद जैसे लोग बैठे हुए हैं और हिन्दी और उर्दू की इस शाम के हम सब गवाह हैं। यही पटना की खूबसूरती है, यही अजीमाबाद की खूबसूरती है।
कला और संस्कृति के क्षेत्र में बिहार सबसे अलग समीर कुमार महासेठ
मुख्य अतिथि उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि कला और संस्कृति के क्षेत्र में बिहार सबसे अलग है। आलोक श्रीवास्तव के कविता संग्रह आमीन और कहानी संग्रह आफरीन व उद्योग विभाग में विशेष सचिव दिलीप कुमार की पुस्तक अप्प दीपो भव का विमोचन हुआ। बिहार राज्य गीत के रचयिता सत्यनारायण को सम्मानित किया गया।
मौके पर एडवांटेज पटना लिटरेरी फेस्टिवल के नए लोगो को भी लांच किया गया। पीएलएफ के अध्यक्ष डॉ. एए हई ने कहा कि पटना में ऐसे आयोजनों की परंपरा रही है। इस मौके पर पीएलएफ की सदस्य फरहत हसन, फरहा खान, चंद्रकांता खान, फहीम अहमद, फैजान अहमद, एजाज हुसैन के अलावा अन्य गणमान्य लोगों में एमएलए शकील अहमद खान, चंद्र शेखर, डॉ. रवि शंकर के अलावा कई अन्य लोग उपस्थित थे।
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