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केंद्र से बिहार को पैसा नहीं मिलने पर सियासत तेज, सुशील मोदी और विजय चौधरी ने थामा मोर्चा

एनडीए सरकार में एक दूसरे के साथ गलबहियां करने वाले बीजेपी और जदयू के नेता अब एक दूसरे पर बयानों के वाण चला रहे हैं। ताजा मामला बिहार की महागठबंधन सरकार को केंद्र सरकार से पैसों के आवंटन का है। नीतीश कुमार  की पार्टी जदयू की ओर से वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्र सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा दी है तो,  बीजेपी  से राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने मोर्चा थाम रखा है। बिहार के सरकार के वित्त मंत्री का आरोप है कि केंद्र सरकार अपने हिस्से की राशि भी राज्य को नहीं दे रही है। इस पर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा है कि राशि नहीं मिलने के लिए राज्य सरकार खुद जिम्मेदार है।

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी  ने वित्त मंत्री विजय चौधरी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि केंद्र द्वारा भेदभाव करने का घिसा-पिटा रिकॉर्ड चालू हो गया है। एक माह पहले तक तो एनडीए की सरकार थी तो क्या उस समय भी अपनी ही सरकार के साथ केंद्र भेदभाव कर रहा था?

सुशील मोदी ने दावा किया कि समग्र शिक्षा के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक राशि बिहार को मिल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएफएमएस की नई व्यवस्था में शर्तों को पूरा करने में बिहार फिसड्डी साबित हो रहा है। इससे राशि प्राप्त होने में विलंब हो रहा है। समग्र शिक्षा अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 4659.37 करोड़ रुपए बिहार को मिलना है परंतु बिहार ने ब्याज में प्राप्त राशि का केंद्रीय हिस्सा केंद्र की संचित निधि में जमा करने के बजाय गलत शीर्ष में जमा कर दिया, जिसे खुद बिहार सरकार ने स्वीकार किया है। साथ ही 7500 से ज्यादा क्रियान्वित एजेंसियों का अभी तक पीएफएमएस पोर्टल पर बिहार मैपिंग नहीं कर पाया है, जो केंद्र से राशि निर्गत करने की अनिवार्य शर्त है। शिक्षकों के वेतन भुगतान की पूरी जिम्मेवारी राज्य की है।

इधर, जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भाजपा सांसद सुशील मोदी को बयानवीर बताया है। उन्होंने कहा है कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत बिहार को मिलने वाली राशि केंद्र सरकार के द्वारा नहीं दिए जाने के संबंध में सुशील मोदी का यह बयान कि इसके लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है, तथ्यात्मक रूप से गलत और निराधार है।

विजय चौधरी ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार से राशि नहीं मिलने के कारण राज्य सरकार अपने संसाधनों से केंद्र के हिस्से की भी प्रतिपूर्ति करके राज्य के शिक्षकों के वेतन भुगतान को सुनिश्चित किया है।  इस तथ्य को कोई कैसे झुठला सकता है।  यह भी उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत राशि का भुगतान सीधे शिक्षकों के खाते में किया जाता है जिसका सत्यापन कहीं से और किसी के द्वारा किया जा सकता है।  सुशील मोदी ने इस बात को अन्य योजनाओं से जोड़कर कथान्तर करने की कोशिश की है।  वित्त मंत्री ने कहा कि अगर  दूसरी योजनाओं की बात है तो राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन योजना जिसके तहत बिहार में 37,91,883 पेंशन धारी स्वीकृत हैं और उन्हें 400  और 500 रुपए प्रति माह 50-50 के अनुपात में केन्द्रांश और राज्यांश को मिलाकर भुगतान किया जाता है।  क्या मोदी यह बताएंगे कि इसके विरुद्ध केंद्र सरकार द्वारा सिर्फ 29,96,472 पेंशन धारियों के लिए ही केंद्र की स्वीकृति क्यों दी गई?

वित्तीय वर्ष 22 23 में 5 महीने बीत जाने के बाद भी अगस्त 2022 तक एक पैसा नहीं दिए जाने के संबंध में मोदी क्या दलील देंगे ? इसी तरह राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन में केंद्र सरकार द्वारा 1348 दशमलव 4 करो रुपए  का प्रावधान करने के बावजूद अगस्त 22 तक एक पैसा नहीं दिया गया। राष्ट्रीय विधवा पेंशन में केंद्रांश के रूप में ढाई सौ करोड़ का प्रावधान रहने के बावजूद अगस्त तक एक पैसा नहीं आया।

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