त्योहारी मौसम आने वाला है। इसकी शुरुआत गणेशोत्सव से होगी। श्रद्धालु बप्पा की आवभगत की तैयारियों में जुटे हैं। वहीं, मूर्तिकार गणपति की प्रतिमाएं बनाने में जी-जान से लगे हैं।
मुजफ्फरपुर के आमगोला, पड़ाव पोखर, गोशाला रोड के मूर्तिकारों का कहना है कि इस बार निर्माण सामग्री काफी महंगी हो गई है। अनुमान है कि इस बार लागत करीब 25-30 फीसदी तक बढ़ जाएगी।
आमगोला रोड के मूर्तिकार बैजू पंडित बताते हैं कि वह करीब 50 साल से मूर्ति बनाने के पेशे से जुड़े हैं। उन्हें यह कला विरासत में मिली है। अब उनके पुत्र, भतीजे और पोते भी इससे जुड़े हैं। पहले एक ट्रेलर मिट्टी पांच हजार रुपये की आती थी। अब उसका दाम सात हजार हो गया है। बांस 150 की आधी मिलती है। पहले यह 90 से 100 रुपये में मिल जाती थी।
सूतली से लेकर रंग तक महंगा :
मूर्तिकार राजेश कुमार बताते हैं कि गणेश चतुर्थी बड़े स्तर पर शहर के पुरानी बाजार, भगवानपुर चौक, छोटी सरैयागंज और पंकज मार्केट में ही मनाई जाती है। अन्य जगहों पर आयोजन छोटी मूर्तियों से होता है। हमारे यहां अभी तक आठ फीट की एक मूर्ति का ऑर्डर आया है। इसके अलावा दो से तीन फीट की 60-70 सांचा की रेडीमेड मूर्ति बनाई है। अंतिम तीन-चार दिनों में इस तरह की मूर्तियां अधिक बिकती हैं।
मूर्तिकार ने बताया कि इस बार महंगाई का असर न सिर्फ गणपति बल्कि विश्वकर्मा व दुर्गा पूजा के लिए बनाई जाने वाली प्रतिमाओं पर भी दिखेगा। सूतली, बांस के अलावा जो धान का भूसा पहले बाजार समिति और चावल के कारखानों में मुफ्त मिल जाया करता था, वह इस बार 10 रुपये किलो खरीदना पड़ रहा है।
उत्सव का बाजार उम्मीद पर कायम :
मूर्तिकारों का कहना है कि भगवान की धोती, देवियों के गहने, साड़ी आदि रंगने में इस्तेमाल होने वाले पाउडर और ग्लेज पेंट के दाम 150 रुपये से बढ़कर 250 रुपये हो गए हैं। अन्य रंगों के दाम भी बढ़े हैं। प्रतिमाएं बनाने में लागत करीब 30 फीसदी तक बढ़ गई है।
गणेशोत्सव से लेकर दुर्गोत्सव तक चलने वाले उत्सवी आयोजन का बाजार उम्मीद पर टिका है। मूर्तिकार इस उम्मीद पर पूंजी और मेहनत लगाकर देवी-देवीताओं की प्रतिमाएं बनाते हैं कि इस बार आमदनी अच्छी होगी। 2-3 फीट की मूर्तियां 900 रुपये से 1500 रुपये तक बिकती हैं। 5 फीट की मूर्ति 6 से 7 हजार तक की और 8 फीट की मूर्ति 10 हजार और उससे अधिक की। मूर्ति का दाम डिजाइन और उसपर की गई मेहनत के हिसाब से भी कम-ज्यादा होता है।
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