इंटरस्तरीय स्कूलों में जरूरत के मुकाबले शिक्षकों की भारी कमी से नये सत्र में बच्चों की पढ़ाई में कई मुश्किलें आएंगी। जिले में 50 हजार से अधिक बच्चों के लिए इंटर स्कूलों में अभी 522 शिक्षक ही पदास्थापित हैं जबकि लगभग 26 सौ शिक्षकों की अभी और जरूरत है।
इंटर की पढ़ाई को लेकर भवन बने, स्कूल चलाने और इस सत्र में नामांकन को लेकर कोड तक मिले पर इन स्कूलों में शिक्षकों का इंतजाम नहीं हुआ है। हाल यह कि बिना शिक्षक के जिले में 220 नये प्लस-2 स्कूल हैं। इन स्कूलों में छात्रों के लिए 80 से लेकर 200 तक सीटें हैं। ऐसे में नामांकन के बाद इन स्कूलों में कक्षा संचालन कैसे होगा, इसका माकूल जवाब अधिकारियों के पास भी नहीं है।
कई स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं
जिले में कुल 416 प्लस-2 स्कूल हैं इनमें 116 स्कूल पहले के अपग्रेड हैं। वहीं 300 स्कूल को इस बार कोड देकर नामांकन की सूची में डाला गया है। इनमें नामांकन के लिए आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। जिन 300 नए स्कूलों को इस बार कोड मिला है, उनमें से महज 80 में ही दो-तीन की संख्या में प्लस-2 शिक्षक हैं। पहले से अपग्रेड 116 में भी कई स्कूल ऐसे जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। वहीं कुछ स्कूल में एक-दो शिक्षक ही पदस्थापित हैं। नियमित शिक्षक संवर्ग के भी महज छह शिक्षक ही जिले में बचे हुए हैं।
शहरी क्षेत्र के स्कूलों में भी संकट
जिले के न सिर्फ सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में बल्कि शहरी क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित विद्यालयों में भी इंटर स्तरीय शिक्षकों की भारी कमी है। शहरी क्षेत्र के विद्या बिहार , रमेश रानी प्लस 2 हाईस्कूल जैसे प्रतिष्ठित स्कूलों में भी एक भी प्लस-2 के शिक्षक नहीं हैं।
यही नहीं गोरीगामा, तुर्की खरारू जो कई साल से प्लस 2 में अपग्रेड हैं और यहां बच्चों का इंटर में नामांकन भी है, वहां भी प्लस-2 के शिक्षक नहीं हैं। रामपुरहरि छपरा में एक, कांटा में एक शिक्षक हैं जिनके भरोसे साइंस और आर्ट्स के छह विषय की पढ़ाई होती है। बच्चों को सिलेबस अपने बूते पूरा करना होता है।
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