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राजकीय स्कूलों की हालत, हाईस्कूल इंटर में हिन्दी के टीचर पढ़ा रहे जीव विज्ञान

राजकीय विद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। प्रदेश के 2332 राजकीय हाईस्कूलों और इंटर कॉलेजों में शिक्षकों के स्वीकृत पदों की तुलना में एक तिहाई से अधिक पद खाली हैं। इसका नतीजा है कि स्कूल में तैनात एक विषय के शिक्षक दूसरे विषय भी पढ़ा रहे हैं। मसलन, प्रयागराज में गंगापार के एक स्कूल में हिन्दी के शिक्षक 12वीं में जीव विज्ञान पढ़ा रहे हैं तो कक्षा 9 और 10 में संस्कृत-हिन्दी के शिक्षक गृह विज्ञान की कक्षाएं ले रहे हैं।

राजकीय बालिका इंटर कॉलेज फूलपुर में जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान और गणित, जीजीआईसी हंडिया में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित तथा नागरिक शास्त्रत्त्, जीजीआईसी धनुपुर में गणित, रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान की शिक्षिका नहीं हैं। कमोवेश यही स्थिति अधिकांश स्कूलों की हैं। शिक्षकों के अभाव में प्रधानाचार्यों ने वैकल्पिक व्यवस्था बना रखी है। जो शिक्षक उपलब्ध हैं, उन्हीं से बाकी विषय पढ़वाए जा रहे हैं।

हालांकि कार्रवाई के डर से कोई भी प्रधानाचार्य इस विषय पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है पर एक बात तो तय है कि शिक्षक न होने पर या तो वह विषय स्कूल में पढ़ाया ही नहीं जा रहा या फिर दूसरे विषय का शिक्षक पढ़ा रहा है। शिक्षकों के 37 प्रतिशत पद हैं खाली: प्रदेश के 2332 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 37 प्रतिशत पद खाली हैं।

वर्ष 2018 के बाद से नहीं हो सकी भर्ती

2018 के बाद से राजकीय स्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती नहीं हुई है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 2018 में 15 विषय में एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) के 10768 पदों पर भर्ती निकाली थी। कंप्यूटर विषय में 1667 पदों के मुकाबले केवल 36 शिक्षकों का चयन हुआ था। विज्ञान में 1045 पदों में से केवल 84 पर चयन हुआ था और बाकी पद रिक्त रह गए थे।

राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री डॉक्टर रवि भूषण के अनुसार राजकीय स्कूलों में शिक्षकों के पदस्थापन में समानता नहीं है। जिला मुख्यालय वाले स्कूलों में बिना आवश्यकता के शिक्षक भरे हुए हैं तो ग्रामीण क्षेत्र में सालों से पद रिक्त हैं।

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