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ऐ भाई जरा देख के चलो… विक्रमशिला पुल पर चलें जरा संभलकर, 86 ज्वाइंट्स, 63 के पास गड्डे; 64 ढक्कन में 31 ख’राब

2001 में देश के सबसे बड़े पांच पुलों में शुमार भागलपुर स्थित विक्रमशिला सेतु की हालत जर्जर है। फर्श (सरफेस) से लेकर दीवार (साइड रेलिंग) तक जर्ज’र हो चुकी है। हजारों वाहनों का भार सहने वाले इस पुल के जीर्णोद्धार के लिए प्रशासन अबतक सचेत नहीं हुआ है। 15 दिन बाद श्रावणी मेला शुरू होने वाला है। जाहिर है वाहनों का लोड तिगुना हो जायेगा, लेकिन पुल का सूरत-ए-हाल यह कि वाहन चालक सही सलामत इस पार से उस पार हो जाए तो राहत की बात होगी।

पुल की बदहाली भागलपुर से ही दिखनी शुरू हो जाती है। चौथे और पांचवें पीलर के पास बाईं ओर सड़क की परत उखड़ने लगी है। ऐसे दृश्य पूरे पुल पर 27 जगह दिख जायेंगे। इससे वाहन चालकों को ड्राइविंग में खतरा महसूस होता है। पुल की रेलिंग कई जगहों पर टूटी हुई है। दोनों साइड में 17 जगहों पर यह टूटी हुई है। पीलर संख्या 47 से 49 तक टूटी रेलिंग खतरनाक है। फुटपाथ पर साइकिल सवार या पैदल यात्रियों को यहां नदी में गिरने का डर बना रहता है। लोग डर-सहमकर इस पुल पर यात्रा करते हैं।

86 ज्वाइंट्स, 63 के पास गड्डे

पूरे सेतु पर 86 ज्वाइंट्स हैं, जो दो पीलर के बीच में है। इनमें 63 के समीप गड्ढे हैं। 21 गड्डे जानलेवा हैं। ग9े की साइज परिधि में ढाई फीट चौड़ी तक है। स्पीड से आने वाली गाड़ियां इस ग9े में फंसकर स्किट करती है या सॉकर टूट जाता है। बालू ले जाने वाले ट्रक का गुल्ला यहीं टूटता है, जिससे जाम लग जाता है। बेगूसराय जा रहे ट्रक ड्राइवर सिकंदर बताते हैं कि इन गड्ढों के ऊपर लोड गाडियां एक फीट तक उछल जाती हैं।

64 ढक्कन में 31 खराब

पुल पर 64 ढक्कन में 31 खराब है। इसका लोहा तक अब दिखने लगा है। पुल पर कहीं-कहीं सरिया तक दिख रहा है। नवगछिया से भागलपुर आने के क्रम में एंट्रेंस पर ही सरिया दिखने लगता है, जिससे पुल की सेहत बिगड़ रही है। पुल दिन-ब-दिन कमजोर हो रहा है, लेकिन इसका विकल्प नहीं तलाशा जा सका है। अगुवानी पुल तैयार होने में दिसंबर से मार्च तक का समय लग सकता है। समानांतर पुल बनने में तीन साल है।

यूपी ब्रिज कंस्ट्रक्शन ने 10 साल में बनाया था विक्रमशिला सेतु

बता दें कि इस पुल का शिलान्यास 1990 में हुआ था। 1991 में यूपी ब्रिज कंस्ट्रक्शन लिमिटेड ने काम शुरू किया था। 2001 में पुल का उद्घाटन हुआ था। 28 जनवरी 2017 में पहली बार 14 करोड़ से मरम्मती का काम हुआ था। सरफेस सुरक्षित करने के लिए मास्टिक रोड बनाया गया था और ज्वाइंट एक्सपेंशन बदलने के अलावा पुल का सॉकर बदला गया था। मुंबई की रोहड़ा रिबिल्ड कंस्ट्रक्शन ने चार साल तक मेंटेनेस किया। अब पुल एनएच के अधीन आ गया है। पहले पथ निर्माण विभाग के पास से पुल निर्माण निगम को गया था। एनएच डिवीजन का कहना है कि हमें पुल हैंडओवर नहीं किया गया है।

अभी विक्रमशिला सेतु पूरी तरह से एनएच को हैंडओवर नहीं हुआ है। प्रक्रिया में है। जब पूरी तरह से पुल हैंडओवर हो जाएगा, तब सड़क का आकलन कर मरम्मत का काम कराया जाएगा।

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