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प्रशांत किशोर के आ’रोप पर सीएम नीतीश का पलटवा’र, जानें क्या कहा

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कहना है कि पिछले तीन दशक से बिहार में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का राज रहा है। पहले 15 साल लालू ने राज किया और अब पिछले 15 सालों से नीतीश कुमार की सरकार चल रही है। पर इन 30 वर्षों में बिहार नहीं बदला। उनके आरोपों पर अब मुख्यमंत्री नीतीस कुमार ने पलटवार किया है। सीएम का कहना है कि बिहार में बहुत काम हुआ है और लोग इस बात को जानते हैं।

सीएम नीतीश ने कहा, ‘कौन क्या बोलता है इसका महत्व नहीं है। महत्व सत्य का है। बिहार में बहुत काम हुआ है, यह सब लोग जानते है।’ मुख्यमंत्री ने यह बातें शुक्रवार को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के भवन के शिलान्यास के मौके पर पत्रकारों से कहीं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कोरोना थमने के बाद सीएए लागू करने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी कोरोना से निपटना है। इस संबंध में कोई पॉलिसी की बात आएगी तो हम लोग देखेंगे।

प्रशांत किशोर का कहना है कि आज भी बिहार सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है। विकास के ज्यादातर मानकों में बिहार सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। यह मेरा नहीं, बल्कि नीति आयोग का आकलन है। पटना के ज्ञान भवन में गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद और उनके समर्थकों का मानना है कि पहले 15 साल सामाजिक न्याय की बात हुई। सामाजिक रूप से पिछड़े लोग को उनकी सरकार ने आवाज दी। उसके बाद के 15 साल में नीतीश कुमार और उनके समर्थकों का मानना है कि उन्होंने सामाजिक पहलुओं पर ध्यान दिया है और बिहार का विकास किया है। दोनों ही बातों में कुछ सच्चाई जरूर है। लेकिन, बिहार आज 30 वर्ष के दोनों के राज के बाद भी पिछड़ा बना हुआ है। शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था ध्व’स्त है। रोजगार के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है।

चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि बिहार के हजारों-लाखों लड़के दूसरे राज्यों में जाकर सबसे कठिन परिस्थिथियों में काम करने को विवश हैं। इसलिए अगर आगे के 10-15 वर्षों में बिहार को अग्रणी राज्यों की श्रेणी में आना है, तो जिस रास्ते में यह राज्य पिछले 20 सालों पर चल रहा है, उस रास्ते पर चलकर वहां नहीं पहुंच सकता है। इसके लिए नई सोच और नये प्रयास की जरूरत है। यह विवाद और बहस का मुद्दा हो सकता है कि नई सोच किसके पास है। मेरा मानना है कि कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता है कि यह शक्ति किसी एक के पास है। बिहार के लोग जबतक एक साथ नई सोच और नये प्रयास के पीछे अपनी ताकत नहीं लगाएंगे, तबतक बिहार की दशा और दुर्दशा सही नहीं हो सकती।

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