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बिहार में ऐसे कंट्रोल होगा एईएस और जेई! 12 जिलों के सिविल सर्जनों को दी यह हिदायत

बिहार : राज्य में एईएस एवं जेई से प्रभावित होने वाले 12 जिलों के सिविल सर्जनों को सघनता पूर्वक जागरूकता कार्यक्रम चलाने को कहा गया है। एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) व जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) के प्रति चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रम की जानकारी सभी सिविल सर्जन को स्वास्थ्य विभाग को प्रतिदिन देनी होगी।  विभाग के अधिकारियों ने पिछले दिनों विभिन्न जिलों के प्रखंडों में तैयारियों के निरीक्षण के क्रम में कई खामियां पायी थी।

मुख्य सचिव एवं स्वास्थ्य विभाग की लगातार बैठकों एवं निर्देशों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में एईएस व जेई से बचाव को लेकर जागरूकता का अभाव पाया गया था। इसी क्रम में मुजफ्फरपुर के तत्कालीन सिविल सर्जन को घोर लाप’रवाही के आरो’प में नि’लंबित भी किया गया। प्रभावित जिलों में अनिर्वाय रूप से पोस्टर-बैनर लगाने, माइकिंग आदि से जागरूकता का निर्देश दिया गया है।

चमकी बुखा’र तंत्रिका संबंधी गंभी’र बी’मारी है, जो मस्तिष्क में सू’जन पैदा करती है। एईएस के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, भ्रम की स्थिति, गर्दन में अकड़न और उल्टी शामिल है। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों और नाबालिग को निशाना बनाती है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपी) से मिली जानकारी के अनुसार, एईएस बीमा’री ज्यादातर विषा’णुओं से होती है। यह जीवाणुओं, फफुंदी, रसायनों, परजीवियों, विषै’ले तत्वों और गैर-संक्रामक एजेंटों से भी हो सकती है।

यह एक संक्रमण वाला बुखा’र है, जिसमें मरीज को तेज बुखार आता है।फ्लेवीवायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है। रो’ग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार आमतौर पर ये बु’खार ग्रामीण इलाकों में अधिक होता है।

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