बिहार सरकार के सरकारी अधिकारियों एवं कर्मियों और उनके आश्रितों के लिए इलाज कराना आसान हो गया है। अब, 15 के स्थान पर 23 रो’गों के इलाज पर खर्च की गई राशि की प्रतिपूर्ति की जा सकेगी। इससे प्रदेश के करीब 4.5 लाख सरकारी अधिकारी और कर्मचारी और उनके आश्रित लाभान्वित होंगे।
राज्य सरकार ने चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए बहिर्वासी रो’गों की सूची में आठ और रो’ग शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव शैलेश कुमार ने पत्र जारी कर दिया।
राज्य सरकार द्वारा समिति से प्राप्त अनुशंसा पर विचार के बाद पहले से शामिल पंद्रह रो’गों के अलावा और 8 रोगों को चिकित्सा व्यय के लिए प्रतिपूर्ति की सूची में शामिल करने का निर्णय लिया गया। इसमें रुमेटी गठिया, क्रोहन रोग, अतिगलग्रन्थिता, लाइकेन प्लानस, मस्तिष्क पक्षाघात, पार्किंसन रोग और पेल्विक इन्फ्लामेट्री रोग शामिल हैं। सरकारी कर्मियों को इलाज के लिए विभागीय स्तर से ही मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद ही इलाज पर खर्च की गयी राशि की प्रतिपूर्ति की जा सकेगी।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा सरकारी अधिकारियों और कर्मियों को बीमारी के इलाज के क्रम में होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति का प्रावधान 2 जून 2006 से किया गया। इसके लिए टीबी, कैंसर, कुष्ठ, ह्रदय की शल्य क्रिया के बाद की चिकित्सा पर व्यय, गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद की चिकित्सा पर व्यय, लिवर प्रत्यारोपण के बाद की चिकित्सा पर व्यय को बहिर्वासी रोगों की सूची में शामिल किया गया। इसके कुछ दिनों के बाद ही 14 अगस्त को चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति के लिए बहिर्वासी रोगों में नौ और रो’ग शामिल किए गए।
हेपेटाइटिस-सी, हेपेटाइटिस- बी, लिवर सिरोसिस, हीमोफीलिया, प्लास्टिक एनीमिया, एड्स, कालाजार, लकवा और डायलिसिस को शामिल किया गया। इसके बाद भी राज्य सरकार से कई अन्य जटिल रोगों के इलाज के खर्च की प्रतिपूर्ति करने की मांग की जाती रही। इसके मद्देनजर पिछले साल अगस्त माह में स्वास्थ्य सेवा के निदेशक प्रमुख की अध्यक्षता में चार सदस्यीय बहिर्वासी चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति सरलीकरण समिति का गठन कर और उनसे अनुशंसा सहित रिपोर्ट प्राप्त की गई।
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