Press "Enter" to skip to content

मुजफ्फरपुर : एईएस.. हाई रिस्क जोन में निचले इलाकों के बच्चे, रिसर्च में जुटी जोधपुर एम्स की टीम

मुजफ्फरपुर : एईएस प्रभावित प्रखंडों के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों में तापमान सामान्य से ज्यादा है। एईएस पर अध्ययन कर रही जोधपुर एम्स की टीम की रिसर्च में ये बातें सामने आयीं हैं। टीम के सदस्यों का कहना है कि एईएस प्रभावित गांवों में जिन लोगों के घर जमीन के नीचे के क्षेत्रों में हैं वहां गर्मी अधिक पायी जा रही है।

AES suspect in Muzaffarpur died and 3 admitted | बिहार: मुजफ्फरपुर में  संदिग्ध AES मरीज की मौत, 3 संदिग्ध भर्ती | Hindi News, बिहार एवं झारखंड

मिली जानकारी के मुताबिक, टीम के सदस्य डॉ विजय किरण रेड्डी ने बताया कि हमलोग मीनापुर के गांवों गये थे। वहां हमने देखा कि नीचे के क्षेत्रों में बने घरों का तापमान ऊंचे इलाकों में बने घरों के तापमान से अधिक है। अभी हमलोग इस पर रिसर्च कर रहे हैं।

टीम ने बताया कि घरों के तापमान मापने लिए हमने घरों में हीट सेंसर लगाये हैं। उसके आंकड़ों का विश्लेषण किया जायेगा। एक महीने बाद हमलोग घरों में लगे सेंसर के डाटा को एक सॉफ्टवेयर में डालकर जायेंगे। एम्स जोधपुर की टीम मुशहरी, मीनापुर और कांटी के गांवों में काम कर रही है। टीम के निदेशक डॉ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष भी मोतीपुर कांटी और मुशहरी के एईएस प्रभावित गांवों के घरों में हीट सेंसर लगाये गये थे। इसमें भी इन घरों के तापमान अधिक पाये गये थे। इसका कारण घरों में वेंटिलेशन का नहीं होना था।

टीम के सदस्यों ने बताया कि तापमान अधिक होने से बच्चों का शुगर स्तर गिर रहा है। इससे उनका माइटोकांड्रिया नष्ट हो रहा है। डॉ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि हमने दस वर्षों के तापमान पर रिसर्च किया है। जिन इलाकों में तापमान अधिक है और बच्चों में कुपोषण है वहां चमकी की बीमा’री देखी जा रही है। जोधपुर की टीम के सदस्यों ने बताया कि हमलोग जहां जा रहे हैं वहां बच्चों में पानी की भी कमी दिख रही है। बच्चों को पेशा’ब कराने के लिए ओआरएस का घोल देना पड़ रहा है।

टीम के सदस्यों ने बताया कि हमने अपने सर्वे में देखा कि गांव में कई लोगों के घर टीन और एस्बेस्टस के बने हैं। एस्बेस्टस की बनावट इस तरह की होती है कि हीट वेव का असर उस पर ज्यादा होता है। वह गर्मी को अवशोषित कर लेता है। इसके अलावा टीन की छत भी घर को ज्यादा गर्म करती है। इस कारण भी घर का तापमान ज्यादा होता है। कई घरों में सीधे सूर्य का प्रकाश आता है। जिससे वहां गर्मी अधिक रहती है। गांवों में बच्चे बिना खाये दोपहर में नदी में चले जाते हैं जिससे उनके शरीर का तापमान असंतुलित हो जाता है। इस कारण भी उन्हें तेज बुखार और शुगर गिरने की समस्या आती है।

निचले इलाके में तापमान अधिक होने पर बीआरए बिहार विवि के भूगोल के विभागाध्यक्ष प्रो राम प्रवेश यादव का कहना है कि निचले इलाके में तापमान अधिक होने का कारण है कि कार्बन डाईऑक्साइड वहां अधिक होता है। जैसे- जैसे हम ऊपर जायेंगे कार्बन डाइऑक्साइड कम होगा और तापमान भी कम होगा।

Share This Article
More from BIHARMore posts in BIHAR »
More from HEALTHMore posts in HEALTH »
More from Health & WellnessMore posts in Health & Wellness »
More from LatestMore posts in Latest »
More from MUZAFFARPURMore posts in MUZAFFARPUR »
More from STATEMore posts in STATE »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *