पटना हाईकोर्ट में शुक्रवार को मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल कां’ड की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने हॉस्पिटल प्रशासन को प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया है। सरकार की ओर से स्वास्थ्य विभाग द्वारा दाखिल जवाब पर असंतो’ष जताया। सरकार से प्रतिउत्तर तलब किया है।
सुनवाई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायमूर्ति एस. कुमार की खंडपीठ में चल रही है। शिका’यतकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि अस्पताल प्रशासन की लाप’रवाही के कारण कई लोगों की आंखों की रो’शनी चली गई।अस्पताल प्रशासन के खि’लाफ एफआई’आर दर्ज कर ली गई है, लेकिन अनुसंधान अबतक लं’बित है। वहीं, राज्य सरकार की ओर से दायर हलफनामा में बताया गया कि मोतियाबिंद के ऑ’परेशन में आंखों की रोश’नी गंवा’ने वाले पीड़ि’तों को क्ष’तिपूर्ति के रूप में एक-एक लाख रुपये दिए गए हैं। एफ’आईआर के साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बं’द कर दिया गया है।मामले में अगली सुनवाई के लिए 31 मार्च की तिथि निर्धारित की गई है। सिकंदरपुर निवासी आचार्य चंद्र किशोर पाराशर, मुकेश श्रीवास्तव व संत कुमार ने हाईकोर्ट मे मामला दर्ज कराया है। इसमें उन्होंने मोतियाबिंद के ऑपरे’शन के दौरान लाप’रवाही बरतने वालों पर स’ख्त कार्रवाई करने की मांग की है। मामला मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में भी चल रहा है। अस्पताल को खोले जाने के बिंदु पर सुनवाई चल रही है।
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