कोरोना काल में आर्थिक स्थिति के साथ साथ बच्चों के मानसिक तनाव की समस्या भी सामने आई हैं। निजी स्कूल के 56 फीसदी बच्चे मानसिक त’नाव में रहे। इसका असर उनकी वर्तमान पढ़ाई पर पड़ रहा है। क्लासरूम की पढ़ाई अब उन्हें कठि’न लग रही है। ये बातें शिक्षा मंत्रालय के मनोदर्पण के सर्वे में निकल कर आयी हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक, कोरोना काल के बाद नवंबर और दिसंबर 2021 में यह सर्वे किया गया। सूबे के दो हजार निजी स्कूलों के नौवीं से 12वीं तक के डेढ़ लाख बच्चों को इसमें शामिल किया गया। सर्वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से किया गया। सर्वे के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल लंबे समय तक बं’द रहे, इससे पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई। ज्यादातर स्कूलों की ऑनलाइन क्लास खा’नापूर्ति वाली ही रही। लगातार दो साल की पढ़ाई में सिलेबस पूरा नहीं हो पाया। इसलिए अब अगली कक्षा की पढ़ाई भी क’ठिन लग रही है। विशेषज्ञ तनाव का एक बड़ा कारण इसे ही मान रहे हैं। इसी मानसिक त’नाव का असर उनकी पढ़ाई पर हो रहा है।स्कूल बंद रहने का असर यह हुआ है कि बच्चों में लिखने की आदत ख’त्म हो गयी है। इसके अलावा लिखावट बहुत ही ख’राब हो गयी है। सर्वे की मानें तो स्कूल के 20 से 25 फीसदी बच्चों की लिखावट ख’राब हुई है। अंग्रेजी के करसिव राइटिंग तो 50 फीसदी से अधिक बच्चे भू’ल गये।
कोरोना संक्रमण ने बच्चों में एक ड’र पैदा कर दिया है। यह ड’र उनके शैक्षणिक त’नाव को लेकर है। सिलेबस पूरा नहीं हुआ, पढ़ाई नहीं होगी तो पास कैसे करेंगे। ये तमाम चीजें बच्चों के दिमाग में चलती रहती हैं। इससे याद करने की क्ष’मता भी कम हो गयी है। सर्वे की मानें तो नका’रात्मक विचार अधिक आने से बच्चों की याददा’श्त कमजोर हो गयी है।
सर्वे के अनुसार, कुछ इस तरह के तनाव झेल रहे हैं बच्चे जैसे :- सिलेबस पूरा नहीं हुआ और परीक्षा में शामिल हुए, पहले मोबाइल थमाया गया अब पेन पेपर दिया गया, पढ़ाई के प्रति गंभीरता खत्म हो गयी, कठिन चैप्टर नहीं समझ पा रहे हैं, क्लासरूम में मोबाइल नहीं ले जाने का भी दुःख हैं। विशेषज्ञ की सलाह :- अभिभावक बच्चों को समय दें, उनके तनाव के कारण जानें, तनाव दूर करने की पहल करें, शिक्षक बच्चों की काउंसिलिंग करें।
कोरोना काल का असर बच्चों की पढ़ाई पर अब दिखने लगा है। बच्चे कोरोना काल में मानसिक त’नाव में रहे, इसका असर पढ़ाई पर भी है। कक्षा की पढ़ाई समझने में दिक्क’त हो रही है। इस कारण स्कूल के रूटीन में बच्चे ढ’ल नहीं पा रहे हैं। स्कूलों को लगातार काउंसिलिंग करानी होगी।
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