रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ यु’द्ध की घोषणा कर दी है। उनके इस ऐलान के बाद भारतीय शेयर बाजार आज भारी गिरा’वट के साथ खुले हैं। वहीं, कच्चे तेल की कीमतें भी 101 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं। सोना 51500 के पार पहुंच गया तो डॉलर के मुकाबले रुपया पहले से और कमजोर हो गया हैं। इसका असर आपकी जेब पर भी पड़ेगा।मिली जानकारी के अनुसार, रूस के यूक्रेन में सैन्य अभियान की घोषणा के चलते रुपया शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 55 पैसे गिरकर 75.16 पर आ गया हैं। युद्ध की वजह से अभी रुपये में और गि’रावट की आ’शंका बढ़ गई है। जानें रुपये के कमजोर होने से किन क्षेत्रों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
कच्चा तेल पर रुपये की कमजोरी से सबसे ज्यादा नुक’सान होता है, क्योंकि यह आयात किया जाता है। कच्चे तेल का आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करना होगा। कैपिटल गुड्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान में रुपये की मजबूती से इस सेक्टर को भी राहत मिलती क्योंकि रुपये की मजबूती से भारत में सस्ते कैपिटल गुड्स मिलते हैं। वहीं रुपया कमजोर हो तो कैपिटल गुड्स के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी नुकसान होगा, क्योंकि समहंगे इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात किए जा सकेंगे। रुपये की कमजोरी का नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा। इससे यह महंगा होगा और आयात पर भी इसका असर आएगा।
भारत बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात करता है। रुपये की कमजोरी से यह भी महंगा होगा। आयात करने वालों को यह अधिक दाम में कम मिलेगा। इससे इस क्षेत्र को सीधा नुकसान पहुंचेगा। इस बीच मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर सोना 51,500 रुपये के पार पहुंच गया है। आज सुबह सोना 1200 रुपये उछल कर 51510 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था। इतना ही नहीं, रू-यूक्रेन युद्ध के बीच कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 7 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। बुधवार को क्रूड ऑयल में 4.65 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है, इसके बाद यह भाव ब्रेंट क्रूड का भाव 101.49 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। वहीं, डब्ल्यूटीआई भी 4.84% फीसद की उछाल केसाथ 96.56 डॉलर पर पहुंच गया है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी तो होगी और 100 डॉलर तक पहुंच सकता है। इसका पूरा असर घरेलू बाजार पर पड़ेगा। इससे भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों 10 से 15 रुपये तक का इजाफा हो सकता है। ये अलग बात है कि अभी पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के चलते पिछले 111 दिन से पेट्रोल-डीजल के रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है।यह बात तय है कि चुनाव बाद पेट्रोल-डीजल ही नहीं बल्कि एलपीजी, सीएनजी और पीएनजी के भी दाम बढ़ेंगे। इससे एक तरफ आपके लिए निजी वाहन का उपयोग करना ज्यादा महंगा हो जाता है। वहीं किराया बढ़ने से भी आवाजाही महंगी हो जाती है। इसके अलावा माल ढुलाई महंगी होने से खाद्य वस्तुओं समेत सभी उत्पादों के दाम बढ़ जाते हैं जिसका बोझ उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
ख़बरों के मुताबिक, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का बाजार पर बेहद बुरा असर पड़ना शुरू हो गया है। अमेरिकी शेयर बाजार जहां बुधवार को गिरा’वट के साथ बंद हुए वहीं भारतीय शेयर बाजार आज भारी गिरावट के साथ खुले। एशियाई बाजार भी हांफ रहे हैं। दो दिन पहले गोल्डमैन सैक्स ने आशंका जताई थी कि यूक्रेन संकट से अमेरिकी शेयर पिछले शुक्रवार के बंद से करीब से 6% और नीचे जा सकते हैं।यूरोप और जापान में बदतर नुकसान के साथ, ग्लोबल कारोबार के लिए उथल-पुथल का माहौल पैदा कर रहे हैं। भू-राजनीतिक के कारण एसएंडपी 500 इंडेक्स में औसतन लगभग 6% से 8% बिकवाली का दबाव बन सकता है। एक्सपर्ट की मानें तो बाजार में बिकवाली हावी रहेगा। ऐसे में भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों को तगड़ा नुकसान हो सकता है।
बता दें युद्ध का यूक्रेन और रूस के साथ कारोबारी संबंध पर असर पड़ सकता है। 2020 में यूक्रेन ने भारत से मिनेरल्स फ्यूल, ऑयल, मशीनरी, न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर, ऑयल शीड्स, ग्रेन शीड्स फ्रूट्स मंगवाया है। वहीं, रूस ने भारत से Fertilizers, एनिमल, vegetable फैट्स और तेल और इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट्स का एक्सपोर्ट किया है।बता दें, भारत और रूस का द्विपक्षीय व्यापार बहुत ज्यादा नहीं है। भारत के कुल आयात में रूस की हिस्सेदारी महज 1.4 फीसदी है। वहीं भारत के कुल निर्यात में रूस की हिस्सेदारी एक फीसदी से कम 0.90 फीसदी है। ऐसे में रूस-यूक्रेन संकट बढ़ने पर भारत-रूस के आयात-निर्यात पर ज्यादा असर नहीं होगा।
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