पटना : सूबे में शराबबंदी पर हंगामा रूकने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन नेताओं के तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं। शनिवार को राजद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनडीए नेताओं पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने इसे एनडीए नेताओं के लिए कमाई का छुपा हुआ जरिया बताया है।
राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन, मृत्युंजय तिवारी और एजाज अहमद ने शनिवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय मे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि एनडीए नेताओं के लिए शराब ‘हीडेन सोर्स ऑफ फंड कलेक्शन’ है। इसी वजह से शराबबंदी के बावजूद सत्ता के संरक्षण में राज्य के अन्दर शराब का अवैध कारोबार फल फूल रहा है।
राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह दावा बिल्कुल झूठ है कि उन्होंने शराबबंदी लागू की है । 2015 में जब महागठवंधन की सरकार बनी तो राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के दबाव पर राज्य में शराबबंदी लागू की गई। जबतक महागठवंधन की सरकार चली शराबबंदी सफल रही।
उन्होंने कहा कि जैसे ही एनडीए की सरकार बनी शराब का अवैध कारोबार फलने फूलने लगा। एनडीए ने तो पहली बार सरकार के गठन के साथ ही लोगों को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित किया गया। राजद शासनकाल की शख्त पाबंदियों को उदारवादी बनाकर शराब की दुकानें खोलने की खुली छूट दे दी गई।
उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2002-03 में ग्रामीण इलाके में जहां मात्र 779 शराब की दुकाने थीं, वह वर्ष 2006-07 में बढकर 2360 यानी तीन गुना हो गई। इससे सूबे में देशी शराब की खपत 4 गुना, विदेशी शराब की खपत 5 गुना और बीयर की खपत 11 गुना बढ़ गई।
उन्होंने बताया कि सूबे में शराब की खपत बढाने के लिए एनडीए सरकार ने जुलाई 2007 में नयी आबकारी नीति लागू की। दुकान परिसर में शराब पीने की छूट भी दे दी गई। उन्होंने कहा कि सरकार की इस नीति के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद ने जबरदस्त अभियान भी चलाया था।
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