ओमप्रकाश दीपक
मुजफ्फरपुर। हरितालिका तीज पर्व नौ अगस्त को है। पर्व में काम आने वाला मिट्टी का छछिया कुम्हार शहर के विभिन्न मुहल्लों में घूम-घूम कर बेच रहे हैं। भारी बारिश के कारण इस बार छछिया की कीमत में तीस प्रतिशत का इजाफा हुआ है। बावजूद पर्व करने वाली महिलाएं अपनी जरूरत के मुताबिक खरीदारी कर रही हैं।
हालांकि इसबार रूक-रूक हो रही बारिश के कारण कुम्हारों को छछिया बनाने में काफी परेशानी हुई है। कुम्हार छोटे वाले छछिया को दस रुपये और बड़े छछिया को बीस रुपये प्रति पीस की दर से बेच रहे हं। छछिया में पर्व वाली दही का उपयोग किया जाता है।
शहर के आसपास इलाके में मिट्टी के सामान बनाने वाले कुम्हार हैं। बाजार में जरूरत के मुताबिक सामान तैयार करते हैं। बखरी, माधोपुर, पहाड़पुर, गौशाला, अतरदह आदि इलाकों के कुम्हार मिट्टी से अलग-अलग सामान बनाकर मांग के अनुरूप इसे लेागों को उपलब्ध कराते हैं।
बखरी के कुम्हार बजरंग पंड़ित ने बताया कि बारिश के कारण मिट्टी मिलने में बड़ी समस्या हुई है। मिट्टी के बर्त्तनों को धूप में सुखाने की समस्या हुई।
उन्होंने बताया कि जलजमाव के कारण डेढ़ गुणा दामों पर मिट्टी मिली है। 5 हजार वाली मिट्टी 7 हजार 500 रुपये टेलर में खरीदारी करनी पड़ी। वहीं बारिश के कारण सूखा जलावन भी महंगा खरीदना पड़ा है। इस बार तो बरसात ने नाकोदम कर दिया है। दो तीन धूप निकलती थी तो बर्तन सुखाते थे।
मौसम साफ रहने के बाद बर्तन पकाने का काम किया गया है। बर्तन बनाने में महंगाई का सामना करना पड़ा है। इधर, ग्राहक पुरानी ही दर से खरीदारी करना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में हल्के और भारी दोनों किस्म वाले बर्तन तैयार किये गये हैं।
इस बार बर्तन की कीमत में तीस प्रतिशत अधिक लागत आयी है। उन्होंने बताया कि अभी मांग छिटपुट है। जैसे-जैसे पर्व करीब आयेगा, मांग में तेजी आयेगी। वे छोटा वाले छछिया को पांच से दस रुपये एवं बड़ा छछिया को पन्द्रह से बीस रुपये प्रति पीस की दर से बेच रहे हैं।
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