पटना: बिहार में आरक्षण बढ़ाने वाली नई रिजर्वेशन नीति को राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने मंजूरी दे दी है और हस्ताक्षर कर विधेयक को सरकार के पास लौटा दिया है। कुछ ही देर में गजट प्रकाशित किया जाएगा। बिहार में नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का कोटा 60 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत किये जाने से संबंधित विधानमंडल से पारित विधेयक को अब राज्यपाल से भी मंजूरी मिल गई है।
नई आरक्षण नीति के तहत अनुसूचित जाति (एससी) के लिए मौजूदा 16% की बजाय 20% आरक्षण, एसटी के लिए 1% की बजाय 2%, पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए 12% की बजाय 18% और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए 18 फीसदी की बजाय 25% आरक्षण की व्यवस्था की गई है। पिछड़ी जाति की महिलाओं को दिया जाने वाला 3 फीसदी आरक्षण को उसी वर्ग के आरक्षण में समाहित कर दिया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पहले की तरह 10 फीसदी आरक्षण मिलता रहेगा।
आपके बता दें बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन नई आरक्षण नीति की अधिसूचना का इंतजार कर रहा था। ताकि निचली जाति के लोगों को सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में बड़ी हिस्सेदारी का दावा करने में मदद करने के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए राज्यव्यापी अभियान शुरू किया जा सके। ऐसे अब आरक्षण संशोधन बिल 2023 को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद जदयू और आरजेडी के कैंपने को तेजी मिलेगी।
जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार कह चुके हैं कि जैसा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया है, पार्टी के वरिष्ठ नेता एक साथ मिलेंगे और जनता तक पहुंचने के तौर-तरीकों पर जोर देंगे और उन्हें आरक्षण में वृद्धि के लाभों के बारे में बताएंगे और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए उनका समर्थन मांगेंगे।
इससे पहले हाल ही में राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने अन्य तीन विधेयकों में बिहार सचिवालय सेवा (संशोधन) विधेयक 2023, बिहार माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2023 और बिहार विनियोग विधेयक 2023 को मंजूरी दी थी। जिन पर राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद गजट प्रकाशित कर दिया था।
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