मुजफ्फरपुर में स्कूलों से 400 से अधिक शिक्षक गायब हैं। स्कूल के रजिस्टर पर बकायदा इनके नाम दर्ज हैं, लेकिन इनके दर्शन दुर्लभ हैं। इतनी बड़ी संख्या में शिक्षक दो-तीन साल से स्कूल नहीं आ रहे, लेकिन उनकी खोजबीन तक नहीं हो रही है। जिले के प्राइमरी से मिडिल और हाई स्कूलों में नियोजित शिक्षकों में 400 से अधिक शिक्षक ऐसे हैं जो स्कूल से एक-दो दिन नहीं बल्कि दो से तीन साल से लगातार गायब चल रहे हैं।
कमाल की बात यह कि जांच करने पहुंचने वाले अधिकारी इन शिक्षकों के बारे में केवल अनुपस्थित लिखकर खानापूर्ति कर दे रहे हैं। ये शिक्षक इतने दिनों से कहां गायब हैं और इसकी वजह क्या है, यह जानने का विभाग की अेर से कभी कोई प्रयास नहीं किया गया। न ही इन लापता शिक्षकों पर विभाग कोई कार्रवाई ही कर रहा है।
कार्रवाई हुई पर वह भी खानापूर्ति:
हाल ही में जिले के छह शिक्षकों की बर्खास्तगी की कार्रवाई हुई पर यह स्कूल नहीं आ रहे कुल शिक्षकों का एक फीसदी भी नहीं है। एक तरफ शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक ने यह आदेश दे रखा है कि जो बच्चे दो महीने से लगातार गायब हैं, उनका स्कूल से नाम काट दिया जाए।
दूसरी ओर, वर्षों से लगातार गायब शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए अधिकारियों द्वारा उच्च स्तर से मार्गदर्शन मांगने के नाम पर लीपापोती का खेल चल रहा है। स्कूल नहीं आ रहे शिक्षकों कं संबंध में डीएम की ओर से डीईओ को आदेशित किया जाता है। इसके बाद डीईओ की ओर से डीपीओ को और फिर डीपीओ द्वारा बीओ को आदेश की प्रति भेज काम खत्म मान लिया जाता है।
शिक्षकों के बारे में संदिग्ध बहाली की आशंका:
कई जांच में अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में लगातार स्कूल से गायब इन शिक्षकों के बारे में संदिग्ध बहाली की आशंका जताई। इसके बावजूद इस दिशा में न तो आगे विस्तृत जांच हुई और न कोई कार्रवाई की जा रही है। प्रधानाध्यापकों से लेकर कई अधिकारियों का कहना है कि इनमें से ज्यादातर वही शिक्षक हैं जिन्हें फर्जी करार देते हुए हटाने का आदेश दिया गया था। लेकिन अधिकारियों की मनमानी और नियोजन इकाई के खेल के कारण अब तक इन शिक्षकों के नाम रजिस्टर पर दर्ज हैं।
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