संघर्ष को चुनौती देने का जज्बा और जुनून हो तो कोई भी मंजिल आसान हो जाती है. अनपढ़ होने के बाद इस कहावत को चरितार्थ किया है जमुई के एक गांव की महिला सजदा खातून ने। सजदा की मेहनत से उनके सपनों को एक नई उड़ान मिली है और सजदा खातून ने सफलता की जो इबारत लिखी है वो काबिलेतारीफ है. काफी संघर्ष के बाद सजदा ने आज जो मुकाम हासिल किया है उसकी कितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है. अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर नमकीन का व्यापार प्रारंभ करने वाली सजदा आज की तारीख में सालाना 2 करोड़ का कारोबार कर रही है।
सजदा खातून और उसका सात लोगों का पूरा परिवार है. सजदा खातून जमुई जिला के सोनो प्रखंड के भरतपुर गांव की निवासी है जो मिहनतकश लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है. एक वक्त था जब सजदा का परिवार दो जून की रोटी के लिए सोचा करता था. घर में चुल्हा कैसे जलेगा इसके लिए सजदा प्रारंभ किया नमकीन का व्यापार और नमकीन को घर-घर बेचकर किसी तरह सजदा अपना परिवार चलाती थी. परिवार के सभी लोग मिलकर नमकीन बनाते तो थे, लेकिन उतना मुनाफा नहीं होता था. परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था, किसी व्यक्ति की सलाह पर सजदा ने नमकीन बनाने की मशीन कोलकाता से चार लाख में खरीदी. जमा पूंजी और कर्ज लेकर मशीन तो खरीद ली लेकिन जीएसटी बचाने के चक्कर में मशीन का बिल नहीं लिया. मशीन कुछ ही दिनों खराब हो गया और बिल के अभाव में मशीन लौटाया भी नहीं गया. घर में मातम सा छा गया।लेकिन सजदा ने हिम्मत नहीं हारी. सजदा ने इस बार अपनी पुश्तैनी जमीन बेचकर एक बार नमकीन बनाने की मशीन बनारस से खरीदी और फिर सजदा को उसकी मिहनत के बल पर सपनों को एक नई उड़ान मिली. सजदा की कहानी काफी संघर्ष से भरी है. इसी संघर्ष से जूझते सजदा ने सफलता की जो इबारत लिखी है उसकी हर कोई प्रशंसा करते नहीं थकता.
सजदा और सजदा के पति मो. समीम दोनों अनपढ़ लेकिन अपनी सोच को साकार करने के लिए जो मेहनत की उसी का परिणाम है कि आज सजदा का पूरा परिवार खुशहाल है. सजदा खातून पिछले 20 वर्षों से नमकीन बनाने का कारोबार कर रही है. आज सजदा अपने पूरे परिवार के साथ नमकीन का कारोबार कर रही है, साथ ही कई कारीगर को भी रखा है. पिछले चार वर्षों से सजदा का कारोबार दिन-दूना और रात-चौगुणा फल-फूल रहा है. सजदा के नमकीन की मांग इतनी हो गई है कि वो उसे पूरा नहीं कर पा रही है. आज की तारीख में सजदा का सालाना कारोबार करीब दो करोड का है और उससे उसको अच्छी कमाई भी हो रही है. सजदा हर रोज करीब 5 से 6 क्विंटल नमकीन तैयार करती है. सजदा अपनी कमाई से पुश्तैनी बेची गई जमीन तो नहीं बल्कि नई जमीन भी खरीद ली है, जिस पर वह अब अपनी नई फैक्ट्री लगाने वाली है.
सजदा के पति मो. समीम अपनी पूरी संघर्ष की कहानी बताते-बताते भावुक भी हो जाते हैं. सजदा कहते हैं कि वो दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक से मुद्रा लोन लेने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन बैंक से सहयोग नहीं मिलने की वजह से अभी तक लोन नहीं मिल पाया. जिसकी वजह से कारोबार में इजाफा नहीं हो सका है।
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