बेतिया, 20 मई। टीबी के खात्मे के लिए अपनी भूमिका निभा रहे हैं जिले के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा। वे यक्ष्मा मरीजों के सहयोग हेतु निक्षय मित्र बन यक्ष्मा मरीजों तक पोषण पोटली पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि टीबी होने पर मरीज के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। वहीँ टीबी की दवा का प्रयोग करने पर दूध, मांस, अंडे, हरी सब्जियां दाल जैसे प्रोटीन युक्त, संतुलित आहार का सेवन करना औऱ भी आवश्यक हो जाता है। डॉ चंद्रा ने बताया कि कुछ ऐसे टीबी मरीज होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। जिसके कारण वे संतुलित आहार का सेवन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में दवा चलते समय संतुलित आहार का सेवन जरूरी होता है। इसी बात को ध्यान रखते हुए उन्होंने एवं उनकी पत्नी डॉ सुधा चंद्रा ने मिलकर 2 टीबी मरीजों को गोद लिया है। वहीँ उनके आग्रह पर डॉ चेतन जायसवाल ने भी 1 टीबी मरीज को गोद लिया है। ताकि कमजोर तबके के कुछ टीबी मरीजों की मदद की जा सके।
छः माह तक पौष्टिक आहार कराएँगे उपलब्ध-
डॉ चंद्रा ने बताया कि निक्षय पोषण योजना अंतर्गत गोद लिए यक्ष्मा मरीजों को 6 माह तक उनके लिए पौष्टिक आहार में भूना चना, सत्तू, सोयाबिन, अंडे, गुड़, मूंगफली, बिस्किट आदि खाद्य पदार्थो की सूची के अनुसार वितरण की जाएगी। ताकि इस आहार का सेवन कर टीबी के मरीज स्वस्थ हो सकें। उन्होंने बताया कि लगातार छः माह तक दवाओं के सेवन कर टीबी की बीमारी से सुरक्षित रहा जा सकता है।
जिले में 5125 टीबी के मरीज हैं –
संचारी रोग पदाधिकारी रमेश चंद्रा ने कहा कि निक्षय पोषण योजना केंद्र सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं में से एक है। प्रधानमंत्री ने टीबी से ग्रसित लोगों के लिए इस योजना की शुरुआत की है। ऐसे में उन्होंने सामाजिक संगठनों और समाजसेवी लोगों से अनुरोध किया है कि टीबी के मरीजों को पौष्टिक आहार देने हेतु आगे आएँ औऱ उन्हें गोद लेकर 6 माह तक उनके लिए पौष्टिक आहार में भूना चना, सत्तू, सोयाबिन, अंडे, गुड़, मूंगफली, बिस्किट आदि खाद्य पदार्थो की पैकेट सूची के अनुसार वितरण करें। उन्होंने बताया कि जिले में 5125 टीबी के मरीज हैं। जिनमें कई लोग गरीब हैं । उनकी मदद की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि 2025 तक क्षय मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार विभिन्न प्रयास कर रहा है।
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