बेतिया,16 मई। राष्ट्रीय डेंगू दिवस के मौके पर जिले में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान सरकारी स्कूलों में चौपाल लगाकर स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा बच्चों व शिक्षकों को डेंगू बुखार से सुरक्षित रहने के उपाय बताए गए। वहीँ योगापट्टी के सीएचसी में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमे नर्स व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने भाग लिया। डीभीबीडीसीओ डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर चौपाल या कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को डेंगू के लक्षणों व बचाव के तरीकों से अवगत कराया जा रहा है। ताकि लोग डेंगू के लक्षणों को जानकर सुरक्षित रहें। उन्होंने बताया कि “डेंगू” मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन में काटता है और स्थिर एवं साफ पानी में पनपता है। इसके काटने के कारण तेज बुखार, बदन, सिर एवं जोड़ों में दर्द और आंखों के पीछे दर्द हो तो सतर्क हो जाएं। त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान, नाक- मसूढ़ों से या उल्टी के साथ रक्तस्राव होना और काला मल होना डेंगू के लक्षण हैं। इन लक्षणों के साथ यदि तेज बुखार हो तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाएं और अपना इलाज करवाएं। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को पहले डेंगू हो चुका है तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है।
सरकारी स्कूलों में लगायी गई चौपाल-
वीभीडीएस सुजीत कुमार वर्मा ने बताया कि जिला स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार कई ग्रामीण क्षेत्रों सहित बेतिया के सर्वोदय मिडिल स्कूल में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उपलब्ध बैनर पोस्टर के साथ चौपाल लगाकर बच्चों व आम लोगों को डेंगू रोग से बचने के तरीके बताए गए।
जानकारी से आएगी मामलों में कमी-
सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दुबे ने बताया कि डेंगू रोग के बारे में जानकारी से इसके मामलों में कमी आएगी। लोग ड़ेंगू मच्छर के काटने से बचेंगें। वहीं लक्षण दिखाई होने पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकेंगे। उन्होंने बताया कि ड़ेंगू के मामले दिखाई पड़ने पर सरकारी स्तर पर इसके इलाज की व्यवस्था उपलब्ध है।
इन उपायों द्वारा डेंगू से सुरक्षित रह सकते हैं-
सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। इसके साथ-साथ मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर के सभी कमरों को साफ- सुथरा रखें। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रीज में पानी जमा नहीं होने दें। पानी टंकी और घर के आसपास अन्य जगहों पर भी पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें और कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करें। गमला, फूलदान का पानी हर दूसरे दिन बदल दें।
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