मुजफ्फरपुर: आज मंगलवार को रानी लक्ष्मीबाई महिला विकास समिति सुस्ता रामदयालु के तत्वाधान में डाउन सिंड्रोम दिवस के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विधिवत दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम में संस्था के सचिव उषा कुमारी के द्वारा डाउन सिंड्रोम पर प्रकाश डाला गया।
ऐसे बच्चे का कैसे पहचान किया जाता है , क्यों होते हैं?
डाउन सिंड्रोम एक अनुवांशिक विकार है जो गुणसूत्रों 21 की तीसरी प्रति की उपस्थिति के कारण होता है अधिकांश लोगों की सभी कोशिकाओं में 46 गुणसूत्र होते हैं लेकिन डाउन सिंड्रोम वाले में 47 गुणसूत्र होने के कारण बच्चे में डाउन सिंड्रोम पैदा होता है ।
लक्षण– सपाट चेहरा, आंखें छोटी , नाक छोटी , कम मांसपेशियों की टोन , मुह की सापेक्ष में बड़ी जीभ , हृदय रोग से ग्रसित हो सकते हैं , यह बच्चे मंगोलियन जैसे दिखते हैं एवं बौद्धिक दिव्यांगता से ग्रसित होते हैं इत्यादि यह लक्षण से पहचान किया जा सकता है ।
डाउन सिंड्रोम को कैसे रोका जा सकता है
सही उम्र में शादी हो , माता के खान पान के साथ पोस्टिक आहार मीलना चाहिए , डॉक्टर के संपर्क में बने रहना चाहिए।
डाउन सिंड्रोम बच्चे का निदान
चेहरे के अजीबोगरीब बनावट के कारण इन्हें आसानी से पहचान किया जा सकता है जन्म के बाद ऐसे बच्चों को केवल प्रशिक्षण , शिक्षा , खेल के माध्यम से एवं अतिरिक्त देखभाल से जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है ।
कार्यक्रम का मंच संचालन संस्था के प्रोग्राम मैनेजर- लालू तुरहा एवं समापन शिक्षिका- मैरि सिन्हा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित कोषाध्यक्ष मीरा देवी , शिक्षक- सौरभ कुमार ,स्पेशल छात्र माधव कृष्ण मित्तल, हिमांशु कुमार ,प्रियांशु कुमार , शिवम कुमार , प्रियम कुमार ,पीयूष कुमार , शशांक कुमार इत्यादि बच्चे उपस्थित रहे।
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