गया: 15वीं शताब्दी में बना मंगला गौरी मंदिर देवी सती को समर्पित उन 52 महाशक्तिपीठों में गिना जाता है जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। पहाड़ी पर विराजमान मां को परोपकार की देवी माना जाता है।
सावन में प्रत्येक मंगलवार को यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं ताकि उनके परिवार में खुशहाली आए और उनके पति को यश और लंबी आयु की प्राप्ति हो। इस पूजा में मां मंगला गौरी को 16 तरह की चूड़ियां, सात तरह के फल और पांच तरह की मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं। ये प्राचीन प्रथा है।
मंगला गौरी मंदिर में भगवान शिव, माता दुर्गा, दक्षिणेश्वरी काली, महिषासुर मर्दिनी और देवी सती के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन होते हैं। इस मंदिर का वर्णन पद्म पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण, श्री देवी भागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण में भी मिलता है।
इस मंदिर परिसर में मां काली, भगवान गणपति, भगवान शिव और बजरंग बली का भी मंदिर हैं। नवरात्रि के महीने में लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए मंगला गौरी मंदिर में आते हैं।
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