बिहार में जाति आधारित गणना की टाइमलाइन बढ़ा दी गई है। अब मई 2023 तक जातीय गणना का काम पूरा होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया।
पहले फरवरी 2023 तक जाति आधारित गणना का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। अब जातीय गणना में देरी होगी।नीतीश कैबिनेट की बैठक में कुल 13 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई।
बिहार में पिछले साल जून में सर्वदलीय बैठक के अंदर जातीय गणना कराने का फैसला लिया गया था। इसके बाद इस साल 2 जून को कैबिनेट ने जातीय गणना कराने की मंजूरी दी। यह गणना दो चरणों में पूरी की जानी है। पहले फरवरी 2023 तक जातीय गणना पूरी कराने का लक्ष्य रखा गया था, मगर अब इसकी अवधि तीन महीने आगे बढ़ाकर मई 2023 कर दिया गया है।
जाति आधारित गणना में देरी पर बीजेपी ने साधा निशाना
पिछले दिनों जातीय गणना में हो रही देरी पर विपक्षी दल बीजेपी ने भी निशाना साधा था। पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने आ’रोप लगाया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार जातीय गणना शुरू करने के प्रति गंभीर नहीं है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के 6 महीने बाद भी इस पर काम शुरू नहीं हो पाया।
सुशील मोदी ने कहा कि पहले चरण में मकानों की गिनती और नंबरिंग का काम होना है, जिसका अभी तक कोई अता-पता नहीं है। जिला, अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर अधिकारियों को जाति आधारित गणना के लिए ट्रेनिंग भी नहीं दी गई है। साथ ही सरकार ने ऐप और पोर्टल विकसित नहीं किए हैं। ऐसे में नीतीश सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।
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