बिहार के कटिहार में बीजेपी नेता संजीव मिश्रा की ह’त्या गो’ली मा’रकर करने बाद वि’वाद बढ़ता जा रहा है. इस मामले ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. वहीं पुलिस ने इस मामले में अब तक तीन संदिग्ध लोगों को अपने हिरासत में लिया है. फिलहाल पुलिस की कार्रवाई जारी है. बीजेपी नेता के दिनदहाड़े ह’त्या से पूरे इलाके में तनाव का माहौल है. अप’राधियों के बढ़ते मनोबल पर लोग आक्रो’शित हो उठे है.
PFI के निशाने पर
वहीं मृ’त बीजेपी नेता संजीव मिश्रा के भाई ने कहा कि राजनीतिक षडयंत्र के तहत मेरे बड़े भाई की ह’त्या हुई है. पुलिस विभाग ने तीन महीने पहले उनके अंगरक्षक को वापस बुला लिया था. मेरे भाई के मौ’त का जिम्मेदार पुलिस विभाग है.
मेरा भाई जातिगत राजनीति का विरो’ध करता था. चार वर्ष के अंतराल पर मेरे परिवार के दो लोगों मौ’त के घाट उतार दिया गया. ये जांच का विषय है. इलाके में प्रतिबंधित पीएफआई समेत अन्य पार्टियों का वर्चस्व है. आगे बताते है बंगाल का सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण PFI का गढ़ माना जाता है औऱ बीजेपी नेता संजीव मिश्रा पीएफआई के निशाने पर थे.
दो बार हो चुका था ह’मला
ह’त्या के बाद सरकार के साथ-साथ कटिहार पुलिस भी सवालों के घेरे में आ गई है. जहां संजीव मिश्रा की ह’त्या की गई है वहां से तेलता ओपी महज चंद कदम की दूरी पर है. थाने के समीप ह’त्या होना सरकार और कटिहार प्रशासन पर सवाल खड़ा करता है.
बता दें कि संजीव मिश्रा के वर्ष 2016 में जिला परिषद चुने जाने के बाद उन पर काति’लाना ह’मला हुआ था और इस ह’मले में वो बाल बाल बच गए थे. दूसरी बार 2021 में उन पर हम’ला किया गया. इसके बाद उन्हें एक अंगरक्षक प्रदान किया गया था. लेकिन राज्य में सरकार बदलने के बाद उनके अंगरक्षक को वापस ले लिया गया. जिसके बाद अब उनकी ह’त्या हो गई. संजीव मिश्रा तीन भाई बहन में सबसे बड़े थे और उन्होंने विवाह नहीं किया था. वो आजीवन बीजेपी के लिए काम करते रहे.
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