छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है. नहाय खाय के साथ व्रतियों ने छठ पूजा का अनुष्ठान शुरू कर दिया है. कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय होता है. इसके बाद दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
मान्यता के अनुसार छठ पूजा और व्रत परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और संपन्नता के लिए रखा जाता है. चार दिन के इस व्रत पूजन की कुछ विधाएं बेहद कठिन होती हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख 36 घंटे का निर्जला व्रत है.
छठ पूजा तिथि
28 अक्टूबर, शुक्रवार-नहाय खाय
29 अक्टूबर, शनिवार-खरना
30 अक्टूबर, रविवार – डूबते सूर्य को अर्घ्य
31 अक्टूबर, सोमवार- उगते हुए सूर्य को अर्घ्य
अभद्र भाषा का प्रयोग न करें
छठ पूजा में शुद्धता का खास ध्यान रखना चाहिए. इसलिए इस व्रत में कई तरह नियम बनाए गए हैं. इसके लिए खूब ध्यान रखने की जरूरत है. छोटे बच्चों को पूजा का कोई भी सामान छूने नहीं दें. जब तक पूजा पूरी न हो जाए बच्चे को तब तक प्रसाद न खिलाएं. छठ पूजा के समय व्रती या परिवार के सदस्यों के साथ कभी भी अभद्र भाषा का उपयोग न करें.
व्रती महिलाएं इन नियमों का करें पालन
जो भी महिलाएं छठ माता का व्रत रखें, वह सभी चार दिनों तक पलंग या चारपाई पर न सोते हुए जमीन पर ही कपड़ा बिछाकर सोएं. छठ पर्व के दौरान व्रती समेत पूरे परिवार सात्विक भोजन ग्रहण करें. पूजा की किसी भी चीज को छूने से पहले हाथ अवश्य साफ कर लें. छठ माता का व्रत रखने वाले अर्घ्य देने से पहले कुछ न खाएं.
पूजा के चार दिन न खाएं फल
छठ पूजा के दिनों में गलती से भी फल न खाएं. इस पर्व के दौरान सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए तांबे या कांसे का बर्तन उपयोग में लाएं. छठ का प्रसाद बनाने के लिए ऐसी जगह चुनें, जहां पहले खाना न बनता हो. छठ पूजा के दौरान स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
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