बिहार के तराई क्षेत्र में स्थित जिला सीतामढ़ी अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते विश्व विख्यात है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की पत्नी मां सीता का जन्म भी यहीं हुआ था। इस बात की ऐतिहासिक पुष्टि भी कई किताबों में हुई है। सीतामढ़ी में कई नदियां और प्राकृतिक रूप से सुंदरता की खान है।
उत्तर में नेपाल की सीमावर्ती क्षेत्र और घने जंगल सीतामढ़ी की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। यहां का जानकी मंदिर देश विदेश में विख्यात है। जानकी मंदिर में देश विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने भी आते हैं। त्यौहारों के दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। तराई क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नदियां बागमती, अगवारा, लखनदेई और मनुस्मारा सीतामढ़ी से होकर बहती हैं। पर्यटन के केंद्र के रूप में यहां के मंदिर और हरियाली भरे जंगल काफी फेमस हैं।
जानकी मंदिर सीतमढ़ी
बिहार के सीतामढ़ी में स्थित जानकी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। धार्मिक मान्यता है कि इसी जगह पर मां सीता का जन्म हुआ था। जानकी मंदिर भव्य आकर में निर्मित है। मंदिर के आसपास कई दुकानें भी हैं। नवरात्रि और पर्व त्यौहारों के अवसर पर मेले का आयोजन भी किया जाता है। मंदिर से सटे कई अन्य छोटे छोटे मंदिर भी आकर्षण का केंद्र हैं। तराई क्षेत्र और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण मौसम का मिजाज भी नरम ही रहता है।
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है सीतामढ़ी
सीतामढ़ी प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। जिले में ग्रीनरी कवर और फारेस्ट क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। नेचर लवर्स के लिए सीतामढ़ी एक खास दर्शनीय स्थल है।मानसून और शीत के मौसम में हरे भरे पेड़ पौधे सीतामढ़ी की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ा देते हैं।
सीतामढ़ी के सभी पर्यटन स्थलों की सड़क से कनेक्टिविटी बेहतर है। सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से आसानी से सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। सीतामढ़ी में पुनौरा में जानकी मंदिर, देवकुली, हलेश्वर स्थान, बागी मठ, गोरौल शरीफ, शुकेश्वर स्थान, बोधायन-सर और सबगछी ससौला सीतामढ़ी में अन्य दर्शनीय स्थल हैं। सीतामढ़ी में लोक कला, नृत्य और संगीत की समृद्ध परंपरा है। सीतामढ़ी लाख की चूड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है और विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग जिले में कई जगहों पर मिलती हैं।
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