मौसम के मिजाज में लगातार बदलाव हो रहा है। कभी तेज धूप तो कभी तेज बारिश हो रही है। इसकी वजह से वातावरण में नमी बनी हुई है। मौसम में हो रहे इसी परिवर्तन के चलते लोग खासकर छोटे बच्चे बीमार पड़ रहे हैं।
मौसम परिवर्तन के कारण बच्चे सर्दी, खांसी और बुखार की चपेट में आ रहे हैं। वायरल इन्फेक्शन के कारण ही ज्यादातर बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। पटना के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल एनएमसीएच में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है।
एनएमसीएच में लगातार आ रहे बीमार बच्चों के कारण अस्पताल में बेड की कमी दिख रही है। बच्चा वार्ड, नीकु, पीकू और जनरल वार्ड मिलाकर कुल 84 बेड हैं। लेकिन अचानक मरीजो की संख्या में बढ़ोतरी के कारण बच्चा वार्ड में कुल 87 बच्चे एडमिट हैं। जिसके कारण एक बेड पर दो- दो बच्चों को रखा जा रहा है।
अस्पताल की स्थिति को देख बच्चों के परिजन भी परेशान हैं। उनका कहना है कि एक बेड पर दो बच्चों का इलाज करने से बच्चों में अन्य बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। यहां तो अभी से ही बेड की कमी हो रही है। इसे देख अभिभावकों को यह भी चिंता सता रही है कि ऐसे के आने वाले कोरोना की तीसरी लहर में बीमार बच्चों का क्या होगा।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. विनोद सिंह ने बताया कि अभी बच्चों में निमोनिया, बुखार, खांसी, सर्दी के मरीज ज्यादा हैं, जो इन्फलुएंजा के लक्षण हैं। अस्पताल में इन सभी बीमारियों से निपटने की पूरी व्यवस्था है।
लेकिन, बेड से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। इस कारण बेड की कमी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि इन मरीजों को कोरोना से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। इसका मौसम भी एक कारण है।
उन्होंने बताया कि वायरल फीवर से बहुत सारे बच्चे बीमार हो रहे हैं। आमतौर पर सर्दी, खासी और बुखार हो रहा है। अस्पताल में बच्चों के लिए 84 बेड है लेकिन 87 बच्चे भर्ती हैं।वही अस्पताल में अन्य मरीजों के लिए 761 बेड है लेकिन भर्ती मरीजों की संख्या 836 है।
एनएमसीएच में इन दिनों मरीजों के सामने बेड कम पड़ गये हैं। बेड नहीं रहने के कारण मरीजों को एडमिट करने में भी समस्या हो रही है। एक बेड पर दो-दो मरीजों को रखना पड़ रहा है।
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