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‘मिथिलांचल’ के बाद आरजेडी का ‘सीमांचल’ कार्ड, तेजस्वी यादव ने कर दिया बड़ा ऐलान

बिहार में अगले साल यानी 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अलर्ट मोड में आ गए हैं. इस बार नीतीश कुमार से सत्ता छीनने को बेताब तेजस्वी यादव हर रोज कोई नया वादा करने में जुटे हैं. तेजस्वी ने अब सीमांचल को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने वादा किया है कि सरकार बनने पर वह सीमांचल डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन करने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि सीमांचल में गरीबी, पलायन, बाढ़ और कटाव से लोग त्रस्त हैं, लेकिन केंद्र में 11 साल एवं राज्य में लगभग 20 साल से एनडीए की सरकार है मगर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने आगे कहा कि अगर 2025 में उनकी सरकार बनी तो सीमांचल डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया जाएगा.तेजस्वी के इस बयान की काफी चर्चा हो रही है. सियासत के जानकारों का कहना है कि उन्होंने सीमांचल को लेकर बड़ा दांव चल दिया है. दरअसल सीमांचल, बिहार का ऐसा इलाका है, जो एक तरफ पश्चिम बंगाल तो दूसरी तरफ नेपाल से लगा हुआ है. इस पूरे इलाके में मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है. सीमांचल में किशनगंज, अररिया, पूर्णियां और कटिहार जिले आते हैं. यह चारों लोकसभा सीटें हैं और इनमें 24 विधानसभा सीटें आती हैं. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में इस इलाके की 4 में से सिर्फ एक सीट ही एनडीए (बीजेपी का प्रत्याशी जीता) के पास गई थी, जबकि दो सीटें कांग्रेस को मिलीं तो वहीं पूर्णिया से निर्दलीय पप्पू यादव जीते थे.

पप्पू यादव का जीतना तेजस्वी यादव के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि तेजस्वी के कैंप करने के बावजूद राजद प्रत्याशी बीमा भारती चुनाव हार गई थीं. वहीं अगर 2020 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को इस इलाके की 5 सीटों पर जीत मिली थी. सियासी जानकारों का कहना है कि इस इलाके का पसमांदा मुसलमान राजद के खिलाफ नीतीश कुमार को वोट करता है. एनडीए सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ भी पसमांदा मुसलमानों को मिला है. इसी वोटबैंक को साधने के लिए तेजस्वी ने ये दांव चला है. वहीं सीमांचल पर तेजस्वी के वादे से पहले उनकी मां और पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग की थी.सियासी जानकारों का कहना है कि मिथिलांचल में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए राजद की ओर से यह मांग उठाई गई है. जबकि सत्ता में रहते लालू यादव हमेशा से इस मांग का विरोध करते रहे हैं. राजनीति के जानकारों का कहना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने क्षेत्रीय स्तर पर नया शिगूफा छोड़कर वोट जुटाने की कवायद शुरू कर दी है. इसमें कोई शक नहीं है मिथिलांचल एनडीए का गढ़ है और राजद की नजर इन इलाकों पर है. ऐसे में राजद एनडीए के इस गढ़ में सेंध लगानेकी जुगत में है.

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