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अब बेटियां हाईस्कूलों में सिखाएंगी मार्शल आर्ट; मानदेय कितना मिलेगा?

मुजफ्फरपुर : बिहार की बेटियों को सभी प्रकार से समर्थ बनाने और नारी सशक्तिकरण को बढावा देने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने नई पहल की है। सूबे के 9384 हाईस्कूलों की बेटियां मार्शल आर्ट ट्रेनर बनेंगी। हर हाईस्कूल से दो-दो छात्राओं को ताइक्वांडो, वूशु, कराटे का ट्रेनर चुना जाएगा। मुजफ्फरपुर जिले के 441 स्कूलों की ढाई लाख बेटियां आत्मरक्षा के गुर सीखेंगी। इनमें 882 बेटियां ट्रेनर बनेंगी। मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण देने वाली बेटियों को मानदेय भी मिलेगा।

शिक्षा विभाग की ओर से दी गयी जानकारी के मुताबिक चयनित ट्रेनर को प्रशिक्षण के दौरान 23 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे, वहीं बाद में ये ट्रेनर के तौर पर 400 रुपए रोजाना पा सकेंगी। बेटियां अपनी सुरक्षा को लेकर किसी पर निर्भर नहीं रहें और उन्हें आत्मरक्षा को लेकर सशक्त बनाया जाए, इसे लेकर यह शुरुआत की गई है। यही नहीं, ये बेटियां ही आगे ट्रेनर के रूप में अन्य बच्चियों को प्रशिक्षित करें और आत्मरक्षा के साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिले, इसकी भी पहल की गई है।

बताया गया है कि मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलों से 18768 बेटियों को ट्रेनर के तौर पर चयनित किया जाएगा। राज्य परियोजना निदेशक योगेन्द्र सिंह ने निर्देश जारी किया है। स्कूल अवधि में ही बच्चियों को हर दिन डेढ़ घंटा प्रशिक्षण दिया जाना है। ट्रेनिंग लेकर ये अपने स्कूल की अन्य छात्राओं को प्रशिक्षित करेंगी।

24 दिनों की ट्रेनिंग के बाद बेटियां बनेंगी मास्टर ट्रेनर

राज्यस्तर से चयनित प्रशिक्षकों के द्वारा हाईस्कूल और प्लस 2 स्कूलों की बच्चियों को 24 दिनों की ट्रेनिंग दी जाएगी। बेहतर प्रदर्शन करने वाली 2-2 बच्चियों का चयन ट्रेनर के रूप में इन्हीं प्रशिक्षकों द्वारा किया जाएगा। बालिका प्रशिक्षकों द्वारा 66 दिनों की ट्रेनिंग अन्य बच्चियों को दी जाएगी। सभी जिलों के लिए ब्लैक बेल्ट प्रशिक्षकों को आवंटित करते हुए सूची जारी कर दी गई है। इसके लिए जिला स्तर पर चयन समिति भी बनाई गई है। इसमें डीईओ अध्यक्ष, डीपीओ सचिव और संभाग प्रभारी सदस्य होंगे। प्रशिक्षण की सारी जवाबदेही डीपीओ एसएसए को दी गई है।

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