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बिहार शिक्षा विभाग की खुली पोल! समस्तीपुर में 2 कमरों में 200 बच्चें पढ़ने को मजबूर

पटना : बिहार के सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराने को लेकर लगातार प्रयास किये जा रहे है। बावजूद जिले में कई ऐसे विद्यालय है, जहां आधारभूत संरचना के आभाव को लेकर बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। समस्तीपुर के सरकारी स्कूल की इन तस्वीर को देखकर तो लगता है कि सरकारी विद्यालय में शिक्षा मजाक बनकर रह गया है।

Bihar Education System exposed 200 children forced to study in 2 rooms in  Samastipur|Bihar Education System: बिहार शिक्षा विभाग की खुली पोल! समस्तीपुर  में 2 कमरों में 200 बच्चें पढ़ने को मजबूर,

यह तस्वीर समस्तीपुर प्रखंड के मोहनपुर स्थित उच्च माध्यमिक विद्यालय की है। इस विद्यालय में दो कमरों में 9वीं से 12वीं तक के लगभग 200 बच्चे पढ़ाई करते है। एक कमरे के आधे हिस्से में कार्यालय संचालित होता है। वहीं आधे हिस्से में स्मार्ट क्लास चलती है। जगह के आभाव में कंप्यूटर बेतरतीब तरीके से रखे पड़े है। वहीं दूसरे कमरे में बाकी की क्लास संचालित होती है।

सबसे हैरान करने वाली बात है कि विद्यालय में केवल चार शिक्षक हैं। सभी विषयों के लिए शिक्षक तक नहीं हैं. हाई स्कूल में साइंस विषय में लैब की जरूरत होती है। लेकिन यहां संसाधन के अभाव में एक साथ सभी वर्ग के बच्चों को बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। लैब की बात करना तो दूर की बात है। विद्यालय में अभी परीक्षा चल रही है. एक बेंच पर 5 से 6 बच्चे बैठकर परीक्षा दे रहे हैं. आधे बच्चे जगह नहीं होने के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं।

बच्चों का कहना है कि विद्यालय भवन के ऊपर से हाई टेंशन तार गुजरती है. तेज हवा में आए दिन तार टूटने और विद्यालय के बीचों बीच पोल में करंट आने का खतरा बना रहता है. एक ही वर्ग कक्ष होने के कारण बैठने में समस्या होती है. खासकर गर्मी के समय में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है।

विद्यालय के प्रिंसिपल और अभिभावकों का कहना है कि संसाधन के अभाव के कारण यहां काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वर्ग कक्षा के अभाव में रोजाना बच्चे क्लास नहीं कर पाते हैं. वहीं इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी का कहना है कि हर पंचायत में हाई स्कूल खोलना था. ऐसे में मध्य विद्यालय को उत्क्रमित कर उच्च विद्यालय बनाया गया. वहां जमीन की कमी है, जिस कारण भवन नहीं बन पा रहा है. जहां जमीन उपलब्ध होगा वहां भवन का निर्माण कराया जाएगा। डीईओ का कहना है कि टीआरई 1 और टीआरई 2 में शहरी क्षेत्र में शिक्षक नहीं दिए गए थे. टीआरई 3 में संभवत शिक्षक आएंगे या फिर साक्षरता पास शिक्षकों को स्थानांतरित किया जाएगा।

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