KISHANGANJ (ARUN KUMAR) : आपके मेहनत के पैसे पर ऑनलाइन ठ’गों की नजर है. साइबर अप’राधी आपको लू’टने के लिए रोजाना कई नए और अनो’खे तरी’के ईजा’द कर रहे हैं. अगर आपके मोबाइल पर एक मैसेज आता है कि आपके शहर से 1000 किलोमीटर दूर आपके नाम से जारी क्रे’डिट/डे’बिट कार्ड से खरीदारी की गयी है तो आपका परे’शान होना स्वाभा’विक ही है. डिजिटल बैंकिंग के ब’ढ़ते चल’न से साइबर फ्रॉड का ख’तरा बेह’द ब’ढ़ गया है. आपके डेबिट/क्रे’डिट कार्ड या नेटबैंकिंग से ई-मेल स्पू’फिंग, फि’शिंग या कार्ड क्लो’निंग के जरिये फ्रॉ’ड हो सकता है. कई बार आपके कार्ड की क्लो’निंग कर उससे ऑनलाइन शॉपिंग कर ली जाती है, या आपके पैसे किसी दूसरे खाते में स्थानां’तरित कर पैसे की निका’सी कर ली जाती है.
इस तरह के लगातार बढ़ते साइबर फ्रॉ’ड और साइबर अप’राध के मामले को देखते हुए किशनगंज जिले के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने जिलेवासियों से अपी’ल करते हुए कई दिशा-निर्दे’श जारी किये हैं.
मुजफ्फरपुर न्यूज़ के माध्यम से किशनगंज पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने कहा की-वर्तमान के कोरो’ना-काल में डिजिटल पेमेंट पर निर्भ’रता बढ़ती जा रही है और इसी के साथ ब’ढ़ते जा रहे हैं फि’शिंग के मामले. यानी साइबर क्रिमि’नल्स द्वारा डिजिटल डेटा चु’राकर आपके बैंक खातों में सें’ध लगाकर पल’क झप’कते ही आपके पैसे पर हाथ सा’फ कर रहे हैं. इन दिनों साइबर ठगी के मामलों में 500 फीसदी ब’ढ़ोतरी हो चुकी है. ऐसे में आप भी इसके शि’कार न हो जाएं, इसके लिए सत’र्क रहना बेहद ज’रूरी है.
आइये, जाने की कैसे होती है साइबर ठ’गी और इससे कैसे ब’चा जा सकता है. किशनगंज जिले के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने जानकारी देते हुए बताया की इनका नेटवर्क फ्रॉ’ड या ठ’गी कैसे करता है-
• फ्रॉ’ड अक्सर बैंक अधिकारी बन कर इस तरह से कॉल करते हैं जिससे कोई संदे’ह पैदा न हो। वे वन टाइम पासवर्ड यानी ओटीपी, क्रे’डिट या डे’बिट कार्ड नंबर, सीवीवी नबर, एक्स’पायरी डेट, सि’क्योर पासवर्ड, इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम पिन, लॉग इन आइडी और पा’सवर्ड जैसी बातें चतु’राई से जान लेते हैं।
• वजह के तौर पर कोई बड़ी ला’टरी जी’तना, कौन बनेगा करोडपति जैसे सीरियल से कॉल आना, अपने अका’उंट को दोबारा ए’क्टिवेट करना, एटीएम या क्रे’डिट कार्ड बंद हो जाना, रिवा’र्ड प्वाइंट को री’डीम करना, अकाउंट को आधार से जो’ड़ना जैसी बेहद जरूरी बातें बताते हैं।
• फिर हासिल ब्योरे का इस्तेमाल ऑनलाइन ट्रांजे’क्शन में कर लेते हैं।
• प्राप्त रकम को ई-वैलेट के जरिए देशभर में अपने नेटव’र्क में बां’ट लेते हैं। ये ई-वैलेट फ’र्जी सूच’नाओं के जरिए हासिल मोबाइल नंबर पर होते हैं।
फि’शिंग के धं’धे में मूलतः बेरो’जगारों का इस्तेमाल होता है। बड़ी तादाद में मोबाइल सिम खरीदे जाते हैं, इस्ते’माल होते हैं और फिर न’ष्ट भी कर दिए जाते हैं। दो से लेकर पांच लड़के तक का समूह होता है। ये समूह अलग-अलग काम करते हैं। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा सहित स्थानीय भाषाओँ में भी ये अपने शि’कार फं’साते हैं। आवाज़ बदलकर कॉल की जाती है। लड़की की आवाज़ का भी इस्तेमाल होता है। इस तरह अन’जान लोगों को कॉल कर धो’खा देना इस धं’धे का बुनि’यादी सिद्धांत है। उनसे जरूरी ब्योरा लेकर उनके ही अकाउंट में सें’धमारी करना इसका क्रि’याकला’प है। इसमें शामिल अपरा’धियों को गिर’फ्तार करना आसा’न नहीं होता है. पर्याप्त सबूत के अभा’व में प’कड़ना और स’ज़ा दिलाना, दोनों काफी मु’श्किल होता है.
साइबर क्रा’इम का बढ़ता ख’तरा
भारत में साइबर क्रा’इम 2019 की अंतिम तिमाही के मुकाबले 2020 की पहली तिमाही में 37 फीसदी ब’ढ़ चुका है। कास्पर स्काई सिक्यो’रिटी नेटवर्क का दावा है कि उसने इस साल जनवरी से मार्च के दौरान 5 करोड़ 28 लाख 20 हजार 874 स्थानीय साइबर ख़’तरों को रोका और उन्हें ब्लॉ’क किया। पिछले साल की अंतिम तिमाही में यही संख्या 4 करोड़ 7 लाख 57 थी। वेब थ्रे’ट के मामले में भारत दुनिया में 27वें नंबर पर है। बीते साल अंतिम तिमाही में भारत की रैंकिंग 32 वें नंबर पर थी।
ऑनलाइन ठ’गी से बचने के लिए क्या करें
• पहली बात यह है कि कभी कोई सूचना फोन पर किसी को सा’झा न करें। दुनिया में कोई चीज़ किसी को मुफ्त में नहीं मिलती, और अगर कोई ऐसा कह रहा है तो उसकी मं’शा निहा’यत ही ग’लत है.
• अपने पिन नम्बर को कुछ अन्तराल पर बदलते रहें (60 दिन में), पिन हमेशा गु’प्त रखें, किसी को ना बताएं.
• हमेशा रेपु’टेटेड ऑनलाइन वॉलेट के जरिये ऑनलाइन खरीददारी करें. संदि’ग्ध वॉलेट या मुफ्त की चीज़ें ऑ’फर करने वाले साइट्स ज्यादातर फ्रॉ’ड का का’रोबार ही करते हैं.
• ओटीपी, सीवीवी नंबर जैसी गो’पनीय जानकारी तो किसी भी सू’रत में सा’झा करने से बचें। कोई भी बैंक या वॉलेट ऐसे नंबर नहीं पूछते.
• बिना जां’चे-पर’खे, कोई मोबाइल App डाउनलो’ड न करें, ये आपकी बैंकिंग से जुडी जानकारी लीक कर सकता है या , मोबाइल क्लो’निंग करके फ्रॉ’ड भी कर सकता है.
• मुफ्त के, अनजा’ने या ज्यादा पब्लिक से जुड़े WiFi या ब्लूटूथ नेटवर्क से अपने मोबाइल, लैपटॉप इत्यादि का कने’क्शन ना जोड़ें. ये हा’निप्रद सिद्ध हो सकता है.
• अच्छी क्वा’लिटी के एंटी-वाय’रस / फ़ाय’रवॉल का प्रयोग करें.
• इ-मेल या सोशल मीडिया पर बैंक या अन्य जगहों से भेजे गए लुभा’वने मेल या लिंक को क्लिक ना करें.
• संदि’ग्ध कॉल आते ही उसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दें।
• ऐसा लगता है कि कोई सूचना सा’झा हो चुकी है तो तुरंत साइबर से’ल या अपने नजदीकी पुलिस थाने को सूचित करें।
• अपने मोबाइल ऑपरेटर या कस्ट’मर केयर से भी तुरंत संपर्क करें।
सत’र्क रहें, सुर’क्षित रहें. जानकारी भी ब’चाव है.
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