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बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बुरा! 97% सरकारी अस्पताल सफाई और हाईजीन में फेल

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे राज्य के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त और समुचित इलाज के बड़े बड़े दावे करते है। लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। सफाई और हाइजीन के मामले  में राज्य के सरकारी अस्पताल बुरी तरह से फेल हो गये हैं। केंद्र सरकार की कायाकल्प योजना में सूबे के सिर्फ 2.4 प्रतिशत अस्पताल को ही 70 प्रतिशत से अधिक अंक आये हैं। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई है।

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कायाकल्प योजना के तहत बिहार के 10 हजार 952 अस्पतालों का मूल्यांकन किया गया था, इनमें सिर्फ 301 अस्पतालों को 70 प्रतिशत से अधिक अंक मिले। मुजफ्फरपुर जिले के 578 सरकारी अस्पतालों में सिर्फ नौ को 70 प्रतिशत से अधिक अंक मिले हैं। क्षेत्रीय अपर निदेशक  ने बताया कि कायाकल्प योजना में बेहतर अंक लाने के लिए सभी सीएस को निर्देशित किया गया है। कहा है कि अविलंब सरकारी अस्पतालों की स्थिति ठीक करें ताकि विभाग की बदनामी नहीं हो।

 

कायाकल्प योजना में अस्पतालों में सफाई, हाइजीन के साथ मरीजों की संतुष्टि पर अंक दिये जाते हैं। इस योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग की सर्वे टीम अस्पतालों का निरीक्षण करती है और मरीजों से भी बात करती है। निरीक्षण और मरीजों के फीडबैक के आधार पर टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करती है। कायाकल्प की तैयारी के लिए कई बार अस्पतालों को राज्य स्तर से भी निर्देश दिया गया, इसके बाद भी कोई असर नहीं देखा गया और सरकारी अस्पताल इसमें फिसड्डी साबित हो रहे हैं।

 

 

सरकारी अस्पताल नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस (एनक्वास) के मानक पर भी खरे नहीं हैं। इसके लिए भी कई बार अस्पतालों में पीयर टीम आई और खामियों को दूर करने के लिए कहा, लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है।

सदर अस्पताल बार-बार हो रहा फेल

सदर अस्पताल बार-बार कायाकल्प योजना के मूल्यांकन में फेल हो जा रहा है। कायाकल्प के अलावा लक्ष्य प्रमाणीकरण में भी सदर अस्ताल जांच में फिसड्डी साबित हुआ है। पिछले दिनों लक्ष्य सर्टिफिकेट की जांच के लिए टीम आई थी। टीम ने अस्पताल के एमसीएच में कई कमियां उजागर कीं और इसे दुरुस्त करने को कहा। अभी पूरे जिले में सिर्फ एसकेएमसीएच के एमसीएच को लक्ष्य का सर्टिफिकेट मिला हुआ है।

 

 

 

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