मुजफ्फरपुर: रामदयालु सिंह महाविद्यालय स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में “कविता: रचना प्रक्रिया व पाठ विश्लेषण” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रख्यात कवि एवं चिंतक मदन कश्यप ने कहा कि कविता मनुष्यता की मातृभाषा है। कविता भाषा कौशल से ज्यादा अनुभव, कल्पना, आत्मलोचन, आत्मबोध और यातना से महान बनती है। कवि को यही मुख्य तत्व महान कवि बनाता है।
डॉ नीलिमा झा, डॉ नीरज मिश्रा एवं आशीष कुमारी कान्ता ने भी कविता के संवेदनशील तत्वों पर प्रकाश डाला। कवि को परिस्थिति और समाज के अनुसार संवेदनशील होना चाहिए। मनुष्यता की भावना से ओतप्रोत होनी चाहिए। विषय प्रवेश कराते हुए विभागाध्यक्ष डॉ सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने कविता रचना प्रक्रिया के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला।
अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ अनिता सिंह ने कहा कि कविता का महत्वपूर्ण तत्व संवेदना है। कवि का संवेदनशील होना जरूरी है तभी कविता बड़ी बनती है। महान कवियों ने मनुष्यता को केंद्र में रखकर कविता की रचना की है। उन्होंने हिंदी विभाग को इस प्रकार के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और आभार प्रकट किया।
मौके पर डॉ रमेश प्रसाद गुप्ता, डॉ सत्येंद्र प्रसाद सिंह, डॉ मनोज कुमार सिंह, डॉ नीरज मिश्रा, डॉ आशीष कांता, डॉ नीलिमा झा, डॉ संजय कुमार सुमन, डॉ अनुपम कुमार, डॉ राकेश कुमार सिंह, डॉ सारिका चौरसिया, समेत सभी शिक्षक एवं छात्र मौजूद थे। वहीं मंच का संचालन डॉ रमेश कुमार गुप्ता, स्वागत डॉ सरोज पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ मनोज कुमार सिंह ने किया।
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