पटना: राज्य के अंगीभूत डिग्री कॉलेजों के प्राचार्यों को और अधिकार दिए जाएंगे। बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम और पटना विश्वविद्यालय अधिनियम में प्राचार्यों के अधिकार का उल्लेख किया जाएगा। अभी अधिनियम में इस पर कोई चर्चा नहीं रहने से कई दिक्कतें आती हैं। खासकर वित्तीय मामलों को लेकर ज्यादा परेशानी होती है। शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन कर प्रचार्यों को अधिकार दिये जाने की तैयारी में जुट गया है।
पदाधिकारियों द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। चुनाव संपन्न होने के बाद राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता खत्म हो जाने के बाद विश्वविद्यालय अधिनियन में संशोधन के प्रस्ताव पर कैबिनेट की स्वीकृति की पहल होगी। कैबिनेट की मुहर के बाद विधानमंडल के मॉनसून सत्र में इससे संबंधित विधेयक पेश किया जाएगा।
विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि अंगीभूत कॉलेज के प्राचार्यों को संस्थान का प्रमुख माना गया है। पर उनके अधिकारों का उल्लेख अधिनियम में नहीं है। ना ही, कोई ठोस नियम-परिनियम बने हैं। कॉलेजों में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त राशि का भी मालिक विश्वविद्यालय ही होता है। कॉलेज के आंतरिक स्रोत से प्राप्त राशि का भी संबंधित विश्वविद्यालय अपनी जरूरत के हिसाब से उपयोग करते हैं। कॉलेज अपनी जरूरत के हिसाब से राशि खर्च नहीं कर सकते। उसे हर कार्य के लिए विश्वविद्यालय पर आश्रित रहना पड़ता है। इसको लेकर ऐसा प्रावधान बनाने की बात हो रही है, जिसमें तय प्रतिशत राशि का हकदार सिर्फ कॉलेज होंगे। अपनी जरूरत के अनुसार कॉलेज राशि खर्च कर सकेंगे। साथ-ही-साथ प्रचार्य का भी यह दायित्व रहेगा कि राशि है तो कोई कार्य लंबित नहीं रहे। प्राचार्य से भी इस संबंध में रिपोर्ट ली जा सकेगी।
दाधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2013 में विभाग की ओर से ऐसा निर्देश गया था कि विभिन्न मदों की 40 प्रतिशत राशि कॉलेज को संबंधित विश्वविद्यालय देंगे। लेकिन, इस निर्देश का पालन अधिकांश विश्वविद्यालयों द्वारा नहीं किया गया। विश्वविद्यालय अधिनियम में इसका उल्लेख कर देने के बाद इस व्यवस्था में सुधार आ सकेगा।
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