पटना: बिहार में कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दूसरे चरण के दूसरे दिन पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की आज कैमूर में रैली है जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी शामिल होंगे। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में बची रह गई सीपीआई-माले, सीपीआई और सीपीएम के नेताओं को भी बुलाया है। तकरीबन तीन सप्ताह पहले तक सरकार चला रहे महागठबंधन में शामिल छह पार्टियों की सत्ता में या सत्ता के साथ रहते लोकसभा चुनाव लड़ने के मंसूबे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फेल कर दिया है। इससे इन पार्टियों के कार्यकर्ताओं और नेताओं में हताशा है। चुनाव सर्वेक्षण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 400 पार और नीतीश कुमार का 40 की 40 के साथ 200 पार का दावा उनके सामने विकराल सवाल है।
सरकार से विपक्ष में पहुंचे महागठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ने और जीतने के लिए जिस जोश की जरूरत है वो नीतीश के पलटने से हवा है। राहुल और तेजस्वी पर सरकार से बाहर होने के बाद अपनी पहली रैली के जरिए पार्टी और गठबंधन में छाई निराशा को गुस्से में बदलने की चुनौती है जिससे दोनों पिछले तीन हफ्ते से बचते दिख रहे हैं। राहुल ने बिहार में यात्रा का पहला चरण सीमांचल में बिताया था और ठीक उसी समय यह सरकार बदलने का खेल हुआ लेकिन उन्होंने नीतीश पर हमले नहीं किए।
उत्तराधिकारी से पूर्व उप-मुख्यमंत्री बन गए तेजस्वी तो चाचा नीतीश कुमार पर और भी संभल कर बोल रहे हैं। विधानसभा में विश्वास मत पर तेजस्वी के भाषण की खूब तारीफ हुई क्योंकि उसमें सरकार से बाहर होने की कोई खीज नहीं दिखी, गुस्सा नहीं था, प्रतिक्रिया नहीं थी और नीतीश को लेकर कोई भी ऐसी बात नहीं थी जो कान को अच्छी ना लगे। इतना मीठा रहकर आरजेडी और महागठबंधन के कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने और जीतने के लिए कैसे गर्माया जाए, ये एक चुनौती है। कैमूर की रैली में राहुल और तेजस्वी के तेवर से तय होगा कि महागठबंधन आगे भी सेफ गेम खेलेगा या हमले शुरू होंगे।
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