महिला कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देकर सौंपा मांग-पत्र
मुजफ्फरपुर।अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की महिला कार्यकर्ताओं ने पुलिस लाइन कन्हौली स्थित मुहल्ले के घरों में 11अगस्त की रात्रि में जबरन घुसकर महिलाओं व लड़कियों से मारपीट व बदसलूकी तथा छात्राओं पर फर्जी मुकदमा दर्ज करने के खिलाफ जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देकर न्याय की मांग की।
जिलाधिकारी तथा वरीय पुलिस अधीक्षक को मांग-पत्र सौंप कर आधी रात में महिलाओं पर ढ़ाई गई पुलिस बर्बरता के लिए जिम्मेवार मिठनपुरा थाना प्रभारी भागीरथ प्रसाद को निलंबित करने के साथ उन पर सख्त कारवाई करने की मांग की। घायल महिलाओं को उचित इलाज कराने हेतु मुआवजा देने, आइसा की छात्राओं पर दर्ज फर्जी मुकदमा वापस लेने के साथ झुठे मुकदमें को खारिज करने तथा ऐपवा, आइसा व माले कार्यालय पर हमला करने वाले को अविलंब गिरफ्तार करने की मांग भी की गई।
धरना में ऐपवा जिला अध्यक्ष शारदा देवी, जिला पार्षद विजनेश यादव, कुसुमी देवी,शांति देवी,शहनाज खातुन,इसरत खातुन,रेखा देवी,सुनिता देवी सहित अन्य महिलाएं शामिल थीं।
इस दौरान महिला कार्यकत्ताओं ने कहा कि नीतीश राज में आधी रात में दर्जनों पुलिस द्वारा घर में जबरन घुसकर महिलाओं से बदसलूकी तथा बर्बरता के साथ मारपीट की जाती है। फर्जी मुकदमा में छात्राओं और उनके परिजनों को फंसाया जाता है। मिठनपुरा थाना प्रभारी भागीरथ प्रसाद माले कार्यालय में छात्राओं और महिलाओं पर भद्दी-भद्दी टिप्पणी व घटिया आरोप लगाते हैं। लेकिन 10 दिन बितने के बावजूद थाना प्रभारी पर कोई कारवाई नहीं की जाती है।माले कार्यालय पर हमला करने वाले को गिरफ्तार करने के बदले पुलिस उससे सांठगांठ कायम कर रखी है। थाना प्रभारी की भूमिका संदेहास्पद बनी हुई है। महिलाओं व छात्राओं के प्रति वे अनर्गल बयानबाजी व प्रचार करने में लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी-नीतीश सरकार में कोरोना महामारी के दौर में भी महिलाएं पुलिसिया बर्बरता का शिकार बन रही हैं। यह महिलाओं का कैसा सशक्तिकरण तथा बेटियों को बचाने और पढ़ाने का अभियान चल रहा है?
नीतीश सरकार को महिलाओं पर ढ़ाई गई पुलिसिया बर्बरता तथा छात्राओं पर दर्ज फर्जी मुकदमा व पुलिस द्वारा प्रताड़ित करने को गंभीरता से लेना चाहिए। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है तथा पुलिसी की धमकी जारी है। महिलाएं, छात्राएं व आमलोग भयभीत हैं।
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