हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन ही देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है और तुलसी विवाह किया जाता है। मान्यता है देवउठनी एकादशी पर 4 महीने के बाद भगवान श्री हरि विष्णु निद्रा से बाहर आते हैं और संसार के पालनकर्ता के दायित्व का भार उठाते हैं।
मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह पूजन करने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। वहीं, इस साल एकादशी तिथि और तुलसी विवाह तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। हर साल देवउठनी एकादशी तिथि पर ही तुलसी विवाह संपन्न किया जाता है। इस बार 23 नवंबर के दिन देवउठनी एकादशी का व्रत रखने के साथ तुलसी विवाह पूजन किया जाएगा।
कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत: 22 नवंबर, रात 11 बजकर 03 मिनट
कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त: 23 नवंबर, रात 09 बजकर 00 मिनट
तुलसी विवाह मुहूर्त: शाम 05:26 – रात 08:46 तक
तुलसी विवाह पूजा विधि
1. सबसे पहले गन्ने से मंडप सजाएं
2. गेरू से तुलसी जी के गमले को सजाएं
3. लकड़ी की साफ चौकी स्थापित करें और उस पर आसन बिछाएं
4. कलश में पवित्र जल भरकर और आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थान पर स्थापित करें
5. एक आसन पर तुलसी जी और दूसरे आसन पर शालिग्राम जी को स्थापित करें
6. गंगाजल से तुलसी जी और शालिग्राम जी का जलाभिषेक करें
7. तुलसी जी को फल, फूल, लाल चुनरी समेत श्रृंगार का सामान अर्पित करें और लाल चंदन से तिलक लगाएं
8. भगवान शालिग्राम को फूलों की माला, फल अर्पित करें और पीले चंदन से तिलक लगाएं
9. अब धूपबत्ती और घी का दीपक प्रज्वलित करें
10. अब हाथों में शालिग्राम जी को लेकर तुलसी जी की 7 बार परिक्रमा करवाएं
11, पूरी श्रद्धा के साथ तुलसी जी और शालिग्राम जी की आरती करें
12. खीर या मिठाइ का भोग लगाएं
13. क्षमा प्रार्थना करें
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