पटना: बिहार में जनता को निरोग रखने वाले डॉक्टरों की घोर कमी है। डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के जिम्मे स्वास्थ्य विभाग भी है लेकिन इसका बुरा हाल है। डॉक्टर मरीज अनुपात की बात करें तो राज्य की 28 हजार लोगों को स्वस्थ रखने का जिम्मा निभाने के लिए मात्र एक डॉक्टर है। अगर डॉक्टर खुद बीमार हो गए तो भगवान का ही आसरा है। बिहार विधानमंडल में शीतकालीन सत्र के दौरान बहस में यह बात सामने आई। WHO के मानकों के अनुसार प्रति एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए।
सवाल उठने पर कहा गया कि राज्य में आबादी के अनुरूप चिकित्सकों के पद सृजित किये जाएंगे। इस पर स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है। विधानसभा में प्रभारी मंत्री कुमार सर्वजीत ने विधायक मनोज मंजिल के प्रश्न के जवाब में यह जानकारी दी। कहा गया कि सरकार ऐसी व्यवस्था कर रही है कि राज्य की जनता को इलाज कराने में कोई दिक्कत नहीं हो।
विधायक ने सवाल किया था कि क्या यह सही है कि बिहार में 22 हजार की आबादी पर एक चिकित्सक हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि यह आंशिक रूप से सही है। उन्होंने कहा कि राज्य में चिकित्सकों की नियुक्ति की कार्रवाई चल रही है। जल्द ही चिकित्सक नियुक्त किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में नियमित चिकित्सकों के 21 हजार 755 पद स्वीकृत हैं। इनके खिलाफ वर्तमान में 10 हजार 929 कार्यरत हैं। वहीं, संविदा पर 2849 चिकित्सक अपनी सेवा लोगों को दे रहे हैं। हर साल बड़ी संख्या में बिहार के मेडिकल कॉलेजों से विद्यार्थी उत्तीर्ण होते हैं, जिनकी सेवा ली जाती है।
मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक होना चाहिए। पर बिहार में 28 हजार की आबादी पर एक चिकित्सक हैं। वहीं, राष्ट्रीय औसत 1400 पर एक चिकित्सक का है।
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