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कई प्रसिद्ध सिद्धपीठों में शामिल है वाणेश्वरी मंदिर, अराधना में जुटे श्रद्धालु

मधुबनी: मिथिलांचल में कई प्रसिद्ध सिद्धपीठ है, ऐसा ही महत्वपूर्ण सिद्ध पीठ मधुबनी दरभंगा के बीच मकरन्द गांव के पास स्थित बाणेश्वरी स्थान है. वाणेश्वरी स्थान इन दिनों श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र बना हुआ है. मनीगाछी प्रखंड मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मां भगवती का मंदिर भंडारिसम गांव में एक प्राचीन ऐतिहासिक विशाल स्थल में स्थित है। वैसे तो वर्ष भर अपनी मनोकामना पूर्ण होने वाले भक्तों का आगमन होता रहता है, लेकिन नवरात्र जैसे विशेष पर्व की अवधि में यहां मिथिलांचल से बाहर के हजारों लोगों के आगमन से यह परिसर तीर्थस्थान जैसा बन जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवती की यह मूर्ति करीब छह सौ वर्ष पुरानी है. बताया जाता है कि मिथिला के राजा भैरव सिंह के शासनकाल में वाण नामक मैथिल ब्राह्मण द्वारा स्थापित होने के कारण इसे वाणेश्वरी के नाम से प्रसिद्धि मिली. काले प्रस्तर की अति प्राचीन मूर्ति के संबंध में बताया जाता है कि इसी गांव में एक ब्राह्मण के घर में इस देवी ने पुत्री के रूप में करीब छह सौ वर्ष पूर्व जन्म लिया।

लड़कीं के रूप की चर्चा तत्कालीन मुगल शासकों तक पहुंची। शासक ने लड़कीं से बलात शादी करने की कुत्सित चेष्टा की जिसे देखकर वह देवी पत्थर रूप में परिणत हो गई. इसे लोगों ने एक स्थानीय कुएं में फेंक दिया. सैकड़ों वर्षो तक जल समाधि में रहने के बाद देवी ने दो सौ वर्ष पूर्व स्थानीय रामलाल ठाकुर को स्वप्न में जल से निकालने की आज्ञा दी।

स्थानीय लोगों द्वारा निकाले जाने पर इस मूर्ति को एक पीपल के पेड़ के नीचे रखकर पूजा की जाने लगी. वर्ष 1915 में महाराज लक्ष्मीश्वर की ज्येष्ठ धर्मपत्नी महारानी लक्ष्मी वती ने अपने माता कुल की रक्षा के लिए पुत्र की याचना की. मनोकामना पूर्ण होने पर महारानी ने वर्ष 1915 में भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।

वाणेश्वरी मंदिर में नवरात्र में मधुबनी दरभंगा समस्तीपुर सहित आसपास के जिलों के साथ साथ झारखंड और नेपाल से भी श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए पहुंचते है। ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मनोकामना लेकर यहां पहुंचते हैं  माता उन्हें पूरा करती है।

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