पटना: बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद से सियासत भी जमकर हो रही है। विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर हमला बोल रहा है। इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री व बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने नीतीश सरकार द्वारा जारी जातीय गणना की रिपोर्ट को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि आंकड़ों में फर्जीवाड़ा किया गया है।
उन्होंने कहा कि जातीय गणना की रिपोर्ट में आरजेडी प्रमुख लालू यादव के विरोधी जातियों की संख्या घटा दी गई। पिछडों, अति पिछड़ों की संख्या कम बताई गई है। रविशंकर प्रसाद ने सवालिया लहजे में पूछा कि सर्वे में कितने घर गये, कितनों के हस्ताक्षर लिए, ये सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सर्वे में मुझसे भी नहीं पूछा गया।
वहीं दूसरी ओर वित्त मंत्री और जेडीयू नेता विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जो लोग जातीय गणना के आंकड़ों पर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें इसका आधार भी पेश करना चाहिए। बिहार सरकार ने कभी सुझावों का दरवाजा बंद नहीं किया था। किसी को अगर कोई आपत्ति थी तो उन्हें जरूर सरकार के समक्ष अपना सुझाव रखना चाहिए था। अगर राजनीति से प्रेरित होकर आंकड़े पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं तो यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि समूचे प्रदेशवासियों के लिए यह गौरव का विषय है कि जातीय गणना को अमलीजामा पहनाने वाला बिहार देश में पहला राज्य बना।
इससे पहले रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवहा ने भी राज्य सरकार द्वारा जारी जातीय गणना के आंकड़ों में फर्जीवाड़े का अंदेशा जताया। उन्होंने राज्य सरकार से आंकड़ों में सुधार कर इसे अंतिम रूप से प्रकाशित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जातीय गणना का आंकड़ा जारी होने के बाद से कई कमजोर एवं अति पिछड़ा वर्ग के लोगों ने लगातार शिकायत की है कि उनसे अभी तक किसी ने संपर्क नहीं किया है। यह शंका महत्वपूर्ण है कि क्या किसी जाति विशेष की संख्या को बढ़ाने के लिए कमजोर वर्गों के लोगों की संख्या कम करके बताया गया।
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