बेतिया जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर बच्चों को कृमि से बचाव के लिए एल्बेंडाजोल की दवा खिलाकर महाअभियान की शुरुआत की गई। बेतिया अम्बेदकर नगर, अर्बन स्वास्थ्य केन्द्र पर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ श्रीकांत दूबे ने उपस्थित सरकारी, निजी विद्यालय तथा आँगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों को दवा खिलाकर किया। मौके पर सीएस डॉ दूबे ने कहा कि 1 से 19 साल तक के बच्चे को दवा खिलानी है। उन्होंने बताया कि जिले में कृमि मुक्ति दिवस मनाते हुए कार्यक्रम आरम्भ हुआ है। वहीं इस दौरान छूटे हुए बच्चों को 27 सितंबर को भी दवा खिलाई जाएगी। आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूल में एक से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को कृमि की दवा खिलानी है। एसीएमओ डॉ रमेश चंद्रा ने बताया कि यह दवा सुरक्षित है। मिट्टी, पानी और वातावरण के कारण बच्चे और बड़े दोनों में कृमि हो सकता है। कृमि की दवा वर्ष में दो बार देना आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि पेट में कृमि होने के कारण विकास अवरुद्ध हो जाता है। साथ ही कई तरह की समस्या हो सकती है। ऐसे लक्षण के प्रति माता-पिता को जागरूक रहना चाहिए।
कृमि के कारण हो सकता है कुपोषण :
जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम राजेश कुमार ने बताया कि बच्चों में कृमि के कारण कुपोषण हो सकता है। वहीं उनमे खाने में रुचि घटने लगती है। डीसीएम ने कहा कि अल्बेंडाजोल की गोली खिलाने से बच्चे एनीमिया के शिकार होने से भी बच सकते हैं। मानसिक और शारीरिक विकास के लिए एक से 19 वर्ष तक बच्चों को गोली खिलानी जरूरी है। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी गई है। एक से पांच तक स्कूल नहीं जाने वाले बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्रों में दवा दी जाएगी। एक से दो वर्ष तक के बच्चे को आधी गोली चूर्ण बनाकर खिलानी है। ऐसे बच्चे जो बीमार हैं या अन्य दवा चल रही है उसको कृमि की दवा नहीं देनी है। इस अवसर पर सिविल सर्जन, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी, डीसीएम, एसीएमओ, बेतिया स्वास्थ्य केंद्र के पदाधिकारी, समन्वयक मौके पर मौजूद रहे।
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