पटना: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रस्तावित बिहार दौरे ने महागठबंधन की नींद खराब कर दी है. शाह इसी महीने की 16 सितंबर को बिहार आ रहे हैं. वह मधुबनी की झंझारपुर लोकसभा में एक जनसभा को संबोधित करेंगे. उनके दौरे को लेकर सियासत तेज हो गई है. गृह मंत्री के दौरे को लेकर भाजपाई जहां उत्साहित हैं, वहीं महागठबंधन के नेता परेशान हो गए हैं. बीजेपी कार्यकर्ता जहां कार्यक्रम की तैयारियों में जुट गए हैं. वहीं महागठबंधन के नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दी है।
अमित शाह के दौरे पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अमित 365 दिन भी बिहार में रहे हमें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. वहीं जेडीयू के MLC नीरज कुमार ने कहा कि देश के गृह मंत्री हैं, जरूर आएं, कई बार बिहार आएं. लेकिन इस बार आएं तो जरा सच बोलें. गीता पर हाथ रखकर कसम खाएं कि इस बार सच बोलेंगे. कहीं पहले की तरह ये ना बोल दें कि पूर्णिया में एयरपोर्ट जो है वह शुरू हो गया है और कहीं ये ना बोल दें कि वहां पर एम्स बन गया है और वो पाताल के अंदर है. कांग्रेस ने भी गृहमंत्री के बिहार दौरे पर सवाल उठाए हैं.
शाह के दौरे पर राजनीति शुरू
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा कि देश के गृहमंत्री है जरूर बिहार आएं, लेकिन जरा ये बताए कि पिछले 9 साल में उन्होंने बिहार को क्या दिया? 9 साल में बिहार को एक भी नई ट्रेन क्यों नहीं दी गई? युवाओं के लिए रेल की व्यवस्था क्यों नहीं की गई? बता दें कि बीते 10 महीनों में अमित शाह का ये 6वां बिहार दौरा होगा. उनके मैराथन दौरे से सवाल ये उठता है कि आखिर अमित शाह को बिहार पर इतना फोकस क्यों करना पड़ रहा है. बीजेपी के लिए बिहार इतना जरूरी क्यों है?
दरअसल, देश में अगले महीने लोकसभा चुनाव होने हैं. पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सत्ता में हैट्रिक लगाने को बेताब है. वहीं विपक्ष की ओर से नीतीश कुमार एक बड़ा चेहरा हैं. एनडीए से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिखरे विपक्ष को एकजुट कर दिया. इसकी वजह से उन्हें भी पीएम उम्मीदवार बताया जा रहा है. हालांकि, विपक्षी गठबंधन ने अभी तक चेहरा फाइनल नहीं किया है. वहीं बीजेपी भी नीतीश को उनके विश्वासघात का सबक सिखाने के लिए आतुर है. बीजेपी की ओर से कमान अब खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संभाल रखी है. अमित शाह ने बिहार में क्लीन स्वीप करने का लक्ष्य रखा है. इसीलिए वो बिहार पर इतना फोकस कर रहे हैं।
नीतीश को सबक सिखाने की तैयारी
नीतीश कुमार ने लालू यादव से राजनीतिक लड़ाई शुरू की थी. इस काम में बीजेपी ने उनका पूरा समर्थन किया था. बीजेपी के सहयोग से नीतीश कुमार ने बिहार के लंबे समय तक सरकार चलाई है. लेकिन अब नीतीश ने लालू की पार्टी से ही हाथ मिला लिया है. राजद की मदद से अब वह महागठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री हैं, इस सरकार में लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री हैं. बीजेपी अब बिहार की राजनीति से नीतीश को हमेशा के लिए खतम करने के प्लान पर काम कर रही है. नीतीश को गैर यादव पिछड़े, दलित और मध्यम वर्ग के एक बड़े तबके के अलावा महिलाओं का अच्छा खासा समर्थन मिलता रहा है. वहीं इस वोटबैंक पर मोदी की भी अच्छी-खासी पकड़ है. अगर बीजेपी ने इस वोटबैंक को अपनी तरफ कर लिया तो जेडीयू बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगी
दरअसल, बिहार से पश्चिम बंगाल, यूपी और झारखंड जैसे राज्य जुड़े हैं. बिहार से जो संदेश निकलता है, वो इन तीनों राज्यों पर अपना असर डालता है. इसके अलावा नीतीश कुमार के पलटी मारने से इतना महत्वपूर्ण प्रदेश बीजेपी के हाथ से निकल गया. तीसरा बड़ा कारण है कि नीतीश कुमार ने दूसरी बार मोदी को सीधी चुनौती देने की कोशिश की है, लिहाजा अब बीजेपी उन्हें बख्शने वाली नहीं है. चौथा कारण- नीतीश को अगर बिहार में ही फंसा कर रखा गया तो वो पूरे देश पर फोकस नहीं कर पाएंगे, ऐसे में पीएम पद की रेस से बाहर हो जाएंगे. 5वां कारण- बीजेपी अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. यूपी की तरह बीजेपी अब बिहार में भी अपनी दम पर सरकार बनाना चाहती है.
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