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बिहार में क्यों निर्मल नहीं हो रही गंगा? 18 शहरों का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा ….

पटना: गंगा को साफ रखने की योजना नौ साल बाद भी बिहार में धरातल पर नहीं उतर पाई है। अब भी राज्य के 18 शहरों का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। इन शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं बन पाया है। जिन पांच शहरों में एसटीपी लग गया है, वहां भी सभी इलाकों के सीवरेज पाइप लाइन को एसटीपी से जोड़ा नहीं जा सका है। ऐसे में गंगा को साफ रखने की मुहिम परवान नहीं चढ़ पा रही है। यही कारण है कि गंगा की धारा निर्मल नहीं हो पा रही है। प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ गया है कि ज्यादातर शहरों के किनारे का पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है।

बिहार में क्यों निर्मल नहीं हो रही गंगा? पानी नहाने लायक भी नहीं; 18 शहरों में हो रही यह ज्यादती

राज्य में गंगा किनारे कुल 23 प्रमुख शहर हैं, जहां के नाले का पानी गंगा में गिरता है। इसमें से सिर्फ पांच शहरों में ही नाले के पानी का शोधन हो पा रहा है। यानी इन शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लग गये हैं। ये शहर हैं पटना, बाढ़, सुल्तानगंज, सोनपुर एवं नवगछिया हैं। हालांकि इन शहरों के भी सभी नाले एसटीपी से नहीं जुड़ पाए हैं। इस कारण कई नाले सीधे गंगा में गिरते हैं।

इन शहरों में एसटीपी नहीं

नमामि गंगे की शुरुआत 2014 में हुई थी। बिहार में भी तभी से एसटीपी का काम चल रहा है। इन नौ वर्षों में सभी शहरों में एसटीपी पूरी तरह से नहीं लग पाया है। गंगा किनारे बसे 18 शहरों में एसटीपी लगाई जानी है। इसमें बेगूसराय, मुंगेर, हाजीपुर, दानापुर, मोकामा, बख्तियारपुर, छपरा, भागलपुर, फतुहा, मनेर, बड़हिया, कहलगांव में एसटीपी लगाने का कार्य चल रहा है। इसके अलावा खगड़िया, बक्सर, मनिहारी, तेघड़ा, दिघवारा और जमालपुर में एसटीपी लगाने की प्रक्रिया जारी है।

पटना में 150 एमएलडी का शोधन नहीं

पटना के कई नाले सीधे गंगा में गिर रहे हैं। इसमें दीघा, कुर्जी, अंटाघाट, नाले आदि प्रमुख हैं। पटना में नमामि गंगे योजना के तहत 1132 किमी सीवर पाइप लाइन बिछायी जानी है। करीब 850 किमी ही बिछाई जा सकी है। पटना में 350 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के छह एसटीपी लगाए जा रहे हैं। 200 एमएलडी का कार्य ही पूरा हो पाया है। दो एसटीपी का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। इससे 150 एमएलडी का ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है। जबतक सभी एसटीपी पूरी क्षमता से नहीं चलेंगे तबतक गंगाजल स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता है।

मल अपशिष्ट प्रबंधन में भी फेल

गंगा किनारे के शहर मल अपशिष्ट का प्रबंधन करने में विफल रहे हैं। तीन दिन पहले स्वच्छ भारत मिशन शहरी की बैठक में गंगा किनारे बसे बिहार के 18 शहरों में अपशिष्ट प्रबंधन की भी समीक्षा हुई। ज्यादातर शहर मल अपशिष्ट प्रबंधन में फेल साबित हुए हैं। मिशन निदेशक रूपा मिश्रा ने मल अपशिष्ट प्रबंधन, डंप कचरा के निस्तारण व लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिए।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार पटना में 23, भागलपुर में छह, बक्सर में पांच, कहलगांव में चार, मुंगेर में एक, सुल्तानगंज में एक, सोनपुर में एक और छपरा में एक स्थान पर सीधे गंदा पानी गंगा नदी में गिरता है।

दस गुना बढ़ गया प्रदूषण

टोटल कोलिफॉर्म नामक खतरनाक जीवाणुओं की संख्या गंगा जल में मानक से 32 गुना अधिक हो गयी है। पिछले दो वर्षों में पटना के घाटों पर गंगा जल का प्रदूषण 10 गुना अधिक हो गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में गांधी घाट और गुलबी घाट पर गंगाजल में खतरनाक जीवाणुओं (टोटल कोलिफॉर्म) की संख्या 100 मिली लीटर पानी में 16000 था। जनवरी वर्ष 2023 में यह बढ़कर 160000 हो गयी है।

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