बेतिया, 11 मई। एईएस/चमकी रोग की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जिले के कई प्रखंडों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान लोगों को इसके लक्षणों की पहचान व इलाज के बारे में जागरूक किया जा रहा है। ताकि चमकी के लक्षणों से बच्चों को बचाया जा सके। वहीं पीएचसी व जिला स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण कराया जा रहा है। ताकि चमकी के मामलों में कमी आए। अगर मामले आए भी तो नियंत्रित हो। ये बातें जिले के
डीभीबीडीसीओ डॉ हरेन्द्र कुमार ने बतायी। उन्होंने बताया कि लोगों को चमकी के लक्षणों के प्रति जागरूक करने व स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षण का ही नतीजा हुआ कि- बगहा 02 की आशा बबीता की सूझ बूझ के कारण परवल ग्राम, बरवल पंचायत, बगहा 02 के निवासी 05 वर्षीय कुलदीप प्रजापति की जान चमकी से बच सकी।
13 दिनों के इलाज के बाद ठीक हुआ कुलदीप प्रजापति:
डीभीबीडीसीओ ने बताया कि 24 अप्रैल 23 को कुलदीप प्रजापति को अचानक से बुखार, कपकपी, अकड़न, सुस्ती, चमकी, दस्त के लक्षण होने शुरू हो गए। जिससे घर वाले घबरा गए। कुलदीप के पिता शैलेंद्र प्रजापति ने अखबारों के माध्यम से चमकी के बारे में पढ़ा था। उसने बिना देरी किए आशा बबीता से सम्पर्क किया। आशा बबीता लक्षण देख चमकी को पहचान गई। उसने तुरंत बच्चे को ओआरएस का घोल पिलाया औऱ पैरासिटामोल की दवा दी। उसे फौरन सरकारी अस्पताल ले जाने को कहा। फिर बच्चे के परिजनों ने बिना देर किए उसे जीएमसीएच बेतिया में भर्ती कराया। जहाँ डॉक्टरों के कहने पर पुनः प्रजापति को 26 अप्रैल को स्थिति गम्भीर होने पर श्रीकृष्ण सिंह मेडिकल कॉलेज मुजफ्फरपुर में भर्ती कराया गया। 13 दिनों के इलाज के बाद ठीक होने पर 08 मई को डिस्चार्ज हुआ। चिकित्सकों ने बताया कि इस दौरान उसके ब्लड शुगर लेवल, सोडियम, पोटैशियम में कमी आ गई थी।
स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा बच्चे का किया जा रहा है फॉलोअप:
डीभीबीडीसीओ डॉ हरेन्द्र कुमार एवं भीबीडीएस डॉ सुजीत कुमार वर्मा ने बताया कि अब प्रजापति खतरे से बाहर है। गुरुवार को स्वास्थ्य कर्मियों की टीम के साथ बगहा में बच्चे के घर जाकर परिजनों की मौजूदगी में फॉलोअप किया गया है। उन्होंने बताया कि बच्चे को 23 मई को चेकअप के लिए बुलाया गया है। डॉ सुजीत कुमार वर्मा ने बताया कि इस बीमारी में जागरूकता व सावधानी बहुत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि अभी तेजी से तापमान बढ़ रहा है, ऐसे में एईएस का बढ़ना तय है। इससे बचाव के लिये अभिभावक अपने बच्चे को धूप से बचाएं। रात को किसी भी हालत में भूखे नहीं सोने दें। सोने से पहले कुछ मीठा जरूर खिलाएं। दिन में एक बार ओआरएस घोल कर जरूर पिलाएं। बच्चे को कच्चा एवम सड़े-गले फल नहीं खाने दें। बच्चा अगर घर में भी है तो घर की खिड़की व दरवाजा बंद नहीं करें। हवादार रहने दें।
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