पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों विपक्षी एकता की मुहिम में जुटे हैं. उनके इस काम में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पूरा साथ दे रहे हैं. इस बीच नीतीश के ताजा बयान ने तेजस्वी को टेंशन दे दी है. जगह थी लखनऊ और मौका था अखिलेश से मुलाकात. लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार पत्रकारों से रूबरु हुए. इस दौरान उन्होंने जो कहा वह तेजस्वी के लिए किसी झटके से कम नहीं था।
दरअसल, लखनऊ में नीतीश ने कहा कि उनकी मंशा प्रधानमंत्री बनने की नहीं है. नीतीश के साथ तेजस्वी भी वहां मौजूद थे. नीतीश के इस जवाब पर तेजस्वी उनका मुंह देखते रहे. चाचा दिल्ली जाएंगे, तो भतीजे बिहार चलाएंगे. नीतीश को दिल्ली भेजने की शुरुआत ही तेजस्वी ने की थी. उन्होंने ही सबसे पहले नीतीश को पीएम मैटेरियल बताया था. उसके बाद ही नीतीश के मन में दिल्ली जाने की इच्छा जगी थी।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जेडीयू और आरजेडी में डील ही यही हुई है कि नीतीश को पीएम बनाने की कोशिश की जाएगी और बिहार को तेजस्वी के हाथों में सौंपा जाएगा. यदि नीतीश अपने बयान से पलटते हैं तो बिहार में एक बार फिर से राजनीतिक घमासान देखने को मिल सकता है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि नीतीश को भी दिल्ली की कुर्सी भा गई है. वह सिर्फ विपक्ष को एक छतरी के नीचे लाने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश को यदि पीएम बनने की चाहत नहीं है, तो वे इतनी मेहनत नहीं करते. उन्होंने रविवार (24 अप्रैल) को ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से मुलाकात की है. इससे पहले वह कांग्रेस के राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल, लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी से मुलाकात कर चुके हैं। आने वाले दिनों में वह दक्षिण भारत के नेताओं से मुलाकात करेंगे।
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