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मुजफ्फरपुर: बेल मिला किसी और को लेकिन रिहा हो गया कोई और, पुलिस परेशान

मुजफ्फरपुर:  मुजफ्फरपुर जिले के शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में अजीबोगरीब मामला सामने आया। जहां माननीय न्यायालय द्वारा जमानत किसी और की दी जाती और जेल प्रशासन किसी और को रिहा कर दिया। मामला 20 नवंबर 2022 का है जहां मुजफ्फरपुर के न्यायालय ने जिले के मीनापुर थाना क्षेत्र के शंकर पट्टी के रहने वाले रामदेव सहनी के पुत्र गुड्डू कुमार को जमानत दी थी और उसका पत्र लेकर उनके वकील के माध्यम से जेल प्रशासन को भेजा गया. जिसके बाद जेल प्रशासन के द्वारा तमाम प्रक्रिया पूरी करने के बाद जेल में बंद दूसरे गुड्डू कुमार जो उसी गांव के रहने वाले धनेश्वर राय के बेटे थे, उन्हें मुक्त कर दिया. जब इस बात की भनक न्यायालय से जमानत कराएं गुड्डू के परिजनों को पता चला तो इसको लेकर जेल प्रशासन पर सवाल खड़ा किया. जिसके बाद जेल प्रशासन हरकत में आया।

Muzaffarpur Central Jail : खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में दो गुटों में  वर्चस्व को लेकर हो सकता संघर्ष - clash over supremacy in Khudiram Bose  Central Jail may occur between two factions

इसको लेकर परिजनों के द्वारा संबंधित विभाग को भी पत्र भेजा गया तब जाकर विभागीय जांच शुरू हुई. विभागीय जांच में यह साफ हो गया कि इस तरह की गलती हुई है. जिसके बाद मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा के अधीक्षक बृजेश कुमार से रिपोर्ट तलब की गई. तो प्रवेश प्रभारी सह सहायक अधीक्षक प्रियंका के खिलाफ रिपोर्ट भेज दी क्योंकि यह काम उन्हीं के द्वारा भूलवश किया गया था. बिना पूरा नाम पता मिलाए युवक को छोड़ दिया था. जिसके बाद जेल अधीक्षक के रिपोर्ट पर कारा एवं सुधार सेवाए निरीक्षणालय, गृह विभाग ने उक्त प्रवेश प्रभारी सह सहायक अधीक्षक प्रियंका को निलंबित कर दिया. साथ ही यह तय कर दिया कि निलंबन अवधि के दौरान उक्त सहायक अधीक्षक का मुख्यालय हाजीपुर मंडल कारा रहेगा. लेकिन सवाल उठता है कि क्या एक पदाधिकारी ही इस पूरे प्रकरण का दोषी था या अन्य कर्मी भी जो मुक्त करते समय इस बारीकी चीज़ पर गौर नही किये। आपको बताते चलें कि पूर्व में भी कई ऐसे विवाद हुए हैं जिससे मुजफ्फरपुर का शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा चर्चाओं में रहा है। आमजन यह सवाल उठा रहे हैं कि अगर इस तरह की गलतियों को जेल प्रशासन करता है तो कभी भी फर्जी तरीके से भी किसी को छोड़ा जा सकता है. शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर इसको लेकर चर्चा हो रही है कि जेल का खेल निराला है कुछ भी संभव है. जो आज तक नहीं हुआ वह अब होने लगा है. हालांकि जेल से मुक्त किए गए गुड्डू को पुलिस ने पुनः पकड़ कर न्यायिक हिरासत में केंद्रीय कारा भेज दिया है.

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